विभागाध्यक्षों के लिए पीएम टीबी मुक्त अभियान पर ओरियनटेशन सत्र आयोजित

विभागाध्यक्षों के लिए पीएम टीबी मुक्त अभियान पर ओरियनटेशन सत्र आयोजित

टीबी रोगियों के सहयोग के लिए उन्हें निःक्षय मित्र के रूप में अपनाने का आह्वान
राज्य सरकार के सभी विभागों के अधिकारियों के लिए आज यहां प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान (पीएमटीबीएमबीए) निःक्षय मित्र पर एक अभिविन्यिास (ओरियनटेशन) सत्र का आयोजन किया गया।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रधान सचिव, स्वास्थ्य सुभासीष पन्डा ने समाज के सभी वर्गों से क्षय रोग से पीड़ित रोगियों को पोषण और भावनात्मक सहयोग प्रदान करने के लिए निःक्षय मित्र के रूप में अपनाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में टीबी के मामलों को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार बीमारी की रोकथाम, पहचान और रोगियों की बेहतर उपचार सुविधाओं पर विशेष बल देते हुए इस गम्भीर बीमारी को खत्म करने के लिए तीव्र गति से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि टीबी के मरीजों को पूरा इलाज करवाने के लिए प्रेरित करने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए। वर्तमान में भी इस बीमारी को सामाजिक कलंक माना जाता है, जिसके परिणामस्वरूप कई मरीज इलाज करवाने से कतराते हैं। इस तरह वे अपने परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों में भी इस बीमारी के फैलने की संभावना को बढ़ा देते हैं।
सुभासीश पन्डा ने कहा कि भारत सरकार ने वर्ष 2025 के अंत तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि हिमाचल प्रदेश सरकार इस लक्ष्य को एक वर्ष पहले हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि 70 लाख से अधिक जनसंख्या वाला छोटा राज्य होने के कारण हिमाचल यह लक्ष्य एक वर्ष पूर्व ही हासिल कर लेगा। उन्होंने व्यक्तियों, संस्थानों, संगठनों, महिला मंडलों और स्वयं सहायता समूहों से राज्य सरकार के प्रयासों में सहयोग करने के लिए आगे आने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि सरकार तपेदिक रोगियों को वित्तीय और पोषण संबंधी सहायता प्रदान कर रही है। आशा कार्यकर्ता डॉट प्रदाता के रूप में काम कर रही हैं और वे यह भी सुनिश्चित कर रही हैं कि मरीज उपचार का छह महीने का कोर्स पूरा करें। प्रदेश में टीबी रोगियों के लिए राज्य सरकार पूरक योजनाओं के रूप में मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण योजना और पीएम टीबी मुक्त भारत योजना को भी लागू कर रही है।
उन्होंने कहा कि आज विश्व एड्स दिवस भी मनाया जा रहा है और यह पाया गया है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण एड्स रोगी क्षय रोग के शिकार हो रहे हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग में शामिल युवा भी इस बीमारी से संक्रमित हो रहे हैं।
मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन हेम राज बैरवा ने बैठक की कार्यवाही का संचालन करते हुए बताया कि अब तक विधायकों व अन्य हितधारकों के साथ ओरियनटेशन सत्र आयोजित किए जा चुके हैं। राज्य सरकार का लक्ष्य टीबी की व्यापकता दर को कम करना है। प्रदेश में रोगियों को बेहतर पोषण आहार प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राज्य में निक्षय मित्र कार्यक्रम का शुभारंभ किया है और निःक्षय मित्र बनकर प्रदेश में अब तक 761 लोगों ने टीबी के मरीजों को गोद लिया है।
निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. गोपाल बेरी ने अपने प्रस्तुतिकरण में बताया कि राज्य में लगभग 15 हजार चिन्हित टीबी रोगी हैं, जिनमें 62 प्रतिशत पुरुष और 38 प्रतिशत महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि विभाग ने मृत्यु दर को कम करने के लिए दवा प्रतिरोधी रोगियों के इलाज का लक्ष्य भी निर्धारित किया है। स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी के प्रति जन जागरूकता पैदा करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है और निजी क्षेत्र भी मरीजों को जागरूक करने और उपचार प्रदान करने में अपना सहयोग दे रहा है।
ओरियनटेशन सत्र में प्रधान सचिवों, सचिवों, विभागाध्यक्षों और निगमों के प्रबंध निदेशकों ने भाग लिया।
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