यहां रियासत के लिए शहीद होने वाले अंग्रेज सैनिक सोए है... सन् 1814 में जैतक के किले में हुई थी गोरखा वार
अक्स न्यूज लाइन -- नाहन, 23 फरवरी 2023
सिरमौर रियासत की कभी राजधानी रहा नाहन शहर सैंकड़ों सालों से कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है। रियासत काल में सन् 1814 में नेपाल से फ तेह करने निकले काजी रणजौर सिंह थापा पहाडी रियासतों को जीतते हुए सिरमौर पहुंचा और जैतक के किले को घेर लिया। रियासत कि हुक्मरानों ने काजी रणजौर सिंह थापा के प्रकोप से बचने के लिए अंग्रेजों से मदद मांगी । पटियाला से अंग्रेज सैनिक ों की टूकड़ी रियासत पहुंची , जैतक के किले को घेरे मेंं लिए बैठे काजी रणजौर थापा के साथ रियासत व अंग्रेज सैनिक ों की टूकड़ी के साथ महीनों घमासान हुआ,अंग्रेजों सेना को भी काजी रणजौर थापा की ताक त का अंदाजा नही था। इतिहास के अनुसार जैतक लड़ाई में करीब 600 सैनिक शहीद हुए । जब लड़ाई से मसले का हल नही निक ला तो काजी रणजौर थापा के साथ अंग्रेज हकुमत को संधि करनी पड़ी । जिसके बाद काजी रणजौर ने जैतक के किले से अपना घेरा उठाया ।
यहां रियासत के लिए शहीद होने वाले अंग्रेज सैनिक सोए
ऐतिहासिक पक्क ा तालाब के कि नारे रियासत में जैतक के किले में गोरखा लड़ाई के दौरान रियासत के लिए शहीद होने वाले अंग्रेज सैनिकों के लिए कब्रगाह बनवाया गया। लड़ाई में शहीद हुए इन सभी सैनिकों पहले जैतक के किले के पास ही दफनाया गया था। लेकिन बाद में महाराजा के आदेशों के बाद सैनिकों के शवों यहां लाया गया और राजकीय सम्मान के साथ इस स्थल पर दफनाया गया था । कब्रगाह में कु छ अंग्रेज सैनिकों की कब्रें आज भी माजूद है । एक ऊं ची स्लीब पर लड़ाई में शहीद हुए मुरडो विलसन क ी है इस स्लीब को लड़ाई के पचीस साल विलसन की बहन अपने भाई की याद में बनवाया था।
-ऐतिहासिक पक्का तालाब के कि नारे रियासत में जैतक के किले में हुई लड़ाई के सैनिकों के कब्रगाह की देखरेख नगर परिषद करती है । परिसर की मुरम्मत के लिए कई लाख का बजट खर्चा गया है। इस ऐतिहासिक स्थल में जल्द औरनामैंटल लाइटस लगाई गई है।
-अविनाश गुप्ता, उपाध्यक्ष नगर परिषद नाहन