गौसदनों को स्वावलंबी बनाने के लिए बनाएंगे एक समग्र योजना: अमरजीत सिंह
इस अवसर पर उपायुक्त ने कहा कि पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिला में इस समय 28 गौसदन संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें लगभग 2285 पशु रखे गए हैं। इनमें से पंजीकृत 26 गौसदनों के लगभग 2071 पशुओं को गौसेवा आयोग के माध्यम से हर माह प्रति पशु 700 रुपये की दर लगभग 6 करोड़ रुपये की धनराशि दी जा चुकी है। इनके अलावा ढांचागत विकास के लिए भी अलग से धनराशि का प्रावधान किया गया है।
उपायुक्त ने कहा कि सभी गौसदनों के संचालक अच्छा कार्य कर रहे हैं और कुछ गौसदन आत्मनिर्भर भी हो चुके हैं, लेकिन अधिकांश गौसदनों के संचालन में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इन दिक्कतों को दूर करके सभी गौसदनों को स्वावलंबी बनाने तथा इन्हें कृषि एवं इससे संबंधित गतिविधियों से जोड़ने के लिए एक समग्र परियोजना तैयार की जाएगी। इसमें सभी संचालकों के सुझाव भी शामिल किए जाएंगे।
अमरजीत सिंह ने कहा कि पशुपालन विभाग के अलावा ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज, कृषि, उद्यान, वन विभाग और अन्य विभागों कीयोजनाओं की कनवर्जेंस से गौसदनों में ढांचागत विकास के साथ-साथ गौधन से आय के स्रोत भी पैदा किए जा सकते हैं। दुग्ध उत्पादन, गोमूत्र, गोबर गैस, पारंपरिक इंधन, केंचुआ खाद, प्राकृतिक खेती, चरागाहों एवं जलस्रोतों का विकास और अन्य गतिविधियों के माध्यम से गौसदनों को स्वावलंबी बनाने की संभावनाओं को भी इस परियोजना में शामिल किया जाएगा।
उपायुक्त ने सभी संचालकों से आग्रह किया कि वे अन्य गौसदनों की व्यवस्थाओं का भी अध्ययन एवं अवलोकन करें और आवश्यकतानुसार अपने गौसदन में लगातार सुधार की दिशा में कार्य करें। बैठक में बेसहारा पशुओं की समस्या पर भी व्यापक चर्चा की गई।
इस अवसर पर पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. अजय सिंह, सहायक निदेशक डॉ. देवेंद्र कतना, डॉ. सतीश शर्मा और अन्य अधिकारियों ने भी गौसदनों के संचालन के लिए सरकार की ओर से प्रदान की जा रही वित्तीय सहायता की जानकारी दी।