व्यय निगरानी का मकसद सभी प्रत्याशियों को लेवल प्लेइंग फील्ड उपलब्ध करवाना- राकेश झा
व्यय पर्यवेक्षक ने इस दौरान प्रत्याशियों के अधिकृत एजेंटों से चुनाव प्रचार के खर्च का पूरा ब्यौरा रोजाना रजिस्टर में दर्ज करने को कहा है ताकि सहायक व्यय पर्यवेक्षकों एवं अकाउंटिंग टीमों द्वारा बनाए गए शैडो रजिस्टर से इसका मिलान कर खर्च का सही आकलन किया जा सके। झा ने बताया कि नामांकन पत्र दाखिल करते ही उम्मीदवार के खर्चे की गणना शुरू हो जाती है और चुनाव परिणाम घोषित होने तक जारी रहती है।
उन्हांेने बताया कि चुनावी खर्चे का नियमानुसार हिसाब न देने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है और उनके चुनाव लड़ने पर 3 साल तक का प्रतिबंध लग सकता है। निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित खर्च 95 लाख की सीमा से ज्यादा खर्चा पाए जाने पर चुनाव में विजयी हो जाने के बाद भी सदस्यता रद्द हो सकती है।
निर्वाचन प्रक्रिया को स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्वक संपन्न करवाने के लिए व्यय पर्यवेक्षक ने सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे आदर्श आचार संहिता की अक्षरशः अनुपालना सुनिश्चित करने में अपना सहयोग दें।
व्यय जांच में एडीसी मंडी रोहित राठौर, सहायक व्यय पर्यवेक्षक और चुनाव प्रत्याशियों के प्रतिनिधि मौजूद थे।