जीवन में जोखिम उठाएं और समृद्धि एवं खुशहाली का मार्ग प्रशस्त करेंः राज्यपाल
राज्यपाल ने सभी डिग्रीधारकों को बधाई दी और कहा कि उन हालात को ध्यान में रखें जिनमें उन्होंने यह डिग्री हासिल की। उन्होंने कहा कि डिग्रीधारकों को अपने भविष्य की योजना के दृष्टिगत एक रेखा खींचनी चाहिए। उन्होंने युवाओं से एक अलग नजरिए से सोचने की अपील करते हुए कहा कि जोखिम उठाएं और यही कदम उन्हें समृद्धि और खुशहाली की तरफ आगे बढ़ाएगा।
उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के जीवन में एक महत्पूर्ण शुरूआती बिंदु है। राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि इस उपलब्धि के लिए जो उन्होंने समाज से लिया उसे किसी भी तरीके या माध्यम से लौटाना है।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों ने भी उनकी सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों से विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में ज्ञान, कौशल मिला और वह मार्गदर्शक भी रहे। उन्होंने विद्यार्थियों से समाज के कल्याण के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कोई भी कारोबार बुरा और अच्छा नहीं होता, जरूरत है तो समाज में एक अच्छा इसांन बनने की। राज्यपाल ने डिग्रीधारकों से एक बेहतर इंसान और जिम्मेदार नागरिक बनने की अपील की।
श्री शुक्ल ने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि आपका ज्ञान आपके व्यवहार में झलकना चाहिए। शिक्षा की असली परख छात्र के व्यक्तिगत चरित्र, समाज के प्रति उसकी संवेदनशीलता और उसके आचरण की प्रमाणिकता में होती है। समाज सेवा की अहमियत को समझते हुए विद्यार्थियों को राष्ट्र निर्माण और स्वयं के निर्माण के लिए पूरी तरह सक्रिय रहना चाहिए।
शुक्ल ने कहा कि शिक्षा की सार्थकता यह होगी कि शिक्षा हासिल करने के बाद आने वाली चुनौतियों को अवसरों में बदलते हुए जीवन में आगे बढ़ते रहें। उन्होंने कहा कि इस 21वीं सदी में ज्ञान विश्व बाजार में सबसे महत्वपूर्ण पूंजी के रूप में उभर कर सामने आया है। आज उस शख्स के लिए अपार अवसर उपलब्ध हैं जो हमेशा उत्साह और सजगता के साथ अपने ज्ञान, कौशल और बुद्धि का विकास करता है।
राज्यपाल ने कहा कि अनेक भारतीय युवाओं ने अपने कौशल के बल पर ही आधुनिक तकनीक के माध्यम से विश्व स्तर पर सफलता हासिल कर अपना परचम लहराया है। उन्होंने कहा कि स्व-रोजगार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन अवसरों का समुचित उपयोग कर विद्यार्थी नौकरी मांगने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बन सकते हैं।
उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा सहित उच्च शिक्षा को डिलीवरी सिस्टम में नवाचार करके लोगों के घर-द्वार तक पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने भरोसा जताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 से इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में विद्यार्थियों, शिक्षकों, शिक्षाविदों और समाज के आम नागरिकों को जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से हिमाचल प्रदेश को नशा मुक्त राज्य बनाने में योगदान देने की अपील की।
मुख्य अतिथि और नीति आयोग के सदस्य प्रो. विनोद कुमार पॉल ने कहा कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों के जीवन में एक बेहद अहम पल होता है जब उनकी मेहनत, दुआओं और समपर्ण का उन्हें ईनाम मिलता है। उन्होंने कहा कि आज सभी डिग्रीधारक राष्ट्र की सेवा के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में विकसित भारत एक अद्वितीय पहल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है।
श्री पॉल ने कहा कि हमें इस लक्ष्य को हासिल करना है, यह मौका दोबारा कभी नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह नया संस्थान है लेकिन फिर भी बेहद कम समय में काफी हद तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति को यहां कार्यान्वित किया गया है। जिसके लिए संस्थान के प्रशासन की जितनी तारीफ की जाए वह कम है। प्रो. विनोद ने कहा कि केंद्र सरकार युवाओं को शिक्षा और विशेषकर कौशल विकास करने के लिए विशेष रूप से प्रयासरत है। इस दिशा में कई योजनाएं चलाई गई हैं और सुविधाएं भी दी जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि अटल टिंकरिंग स्कूल लैब और प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी योजना सरकार के ऐसे प्रयास है जिनका बड़े पैमाने पर विद्यार्थियों को लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि हमें दुनिया को बेहतर हुनर और कौशल देना है। उन्होंने कहा कि बीते 10 वर्षों में देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मेडिकल डिवााइस पार्क और बल्क डग पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। हमें जहां तक संभव हो सके तकनीक को अपनाना है तभी हम आत्मनिर्भर बनने के योग्य हो सकते हैं। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में अपार संभावनाओं पर भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने डिग्रीधारकों से आह्वान किया कि उत्कृष्टता को अपनी आदत बनाएं, अपनी जीवनशैली में सुधार करें, केवल तभी कर्मयोगी बन सकते हैं।
इस अवसर पर तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण क्षण है, जिसने उनके जीवन में बदलाव लाया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया है। धर्माणी ने कहा कि आप केवल मात्र डिग्री प्राप्त नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह उससे कहीं अधिक है और यह आपको समाज की समस्याओं का समाधान करने में सक्षम बनाता है। उन्होंने समाज पर होने वाले प्रभावों को चिह्नित करने पर बल देते हुए कहा कि हमें विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए हमें कार्योन्मुखी होना होगा। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से पूर्व छात्रों के नेटवर्क को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि ज्ञान साझा करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने डिग्री धारकों से आग्रह किया कि वे जीवन में सीखना और नवाचार करना कभी बंद न करे और अपनी संस्कृति से जुड़े रहे।
उन्होंने कहा कि शिक्षा को केवल मात्र डिग्री हासिल कर, आय का स्त्रोत बनाने तक सीमित नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर कोई सरकारी नौकरी प्राप्त नहीं कर सकता बल्कि युवाओं को अपनी मानसिकता बदलकर, दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर सृजित करने होंगे।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति शशि कुमार धीमान ने राज्यपाल का स्वागत कर, उन्हें सम्मानित किया और विश्वविद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट उनके समक्ष रखी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से लगभग 30 हजार से अधिक विद्यार्थियों ने डिग्रियां प्राप्त की है और 5वें दीक्षांत समारोह में 4801 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की जा रही है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हैं ताकि छात्र समाज में अपना योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि हमने स्वरोजगार को तकनीकी शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने पदक विजेताओं और डिग्री धारकों को बधाई भी दी।
हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर के रजिस्ट्रार कमल देव ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा बिट्टू, भोरंज के विधायक सुरेश कुमार, एनआईटी हमीरपुर के निदेशक एच.एम. सूर्यवंशी, राज्यपाल के सचिव सी.पी. वर्मा, उपायुक्त हमीरपुर अमरजीत सिंह, पुलिस अधीक्षक भगत सिंह ठाकुर, संकाय सदस्य और अन्य गणमान्य भी उपस्थित थे।