महिला सशक्तिकरण में पंचायतीराज संस्थाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण’
इस अवसर पर बाल विकास परियोजना अधिकारी कुलदीप सिंह चौहान ने पंचायत जनप्रतिनिधियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि महिलाओं और बालिकाओं के बुनियादी एवं चहुमुखी विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति में पंचायतीराज संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि हमारे सामाजिक ताने-बाने में ये संस्थाएं ऐसे शिल्पकार की भूमिका में निभाती हैं जो सामाजिक विज्ञानियों एवं अर्थशास्त्रियों की उन अवधारणाओं को वास्तविकता में बदलने की क्षमता रखते हैं जिनका यह मानना है कि महिलाओं के उचित एवं उपयुक्त योगदान से ही विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति संभव है।
बाल विकास परियोजना अधिकारी ने कहा कि स्थानीय स्तर पर महिलाओं के मार्ग में आने वाली विभिन्न समस्याओं का आकलन एवं निदान पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों से बेहतर कोई और नहीं कर सकता है। ये संस्थाएं महिलाओं विशेषकर बालिकाओं के चहुमुखी विकास हेतु उपयुक्त एवं सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने, लोक व्यवहार में परिवर्तन लाने, विकास के उचित अवसर तलाशने और स्थानीय संसाधनों को महिला विकास के आयामों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं।
इसी के मद्देनजर सरकार ने अपनी आर्थिक नीतियों की दिशा को इन संस्थाओं की ओर मोड़ा है और विभिन्न लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु स्थानीय स्तर पर योजनाएं बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने का जिम्मा इन संस्थाओं को दिया है। कुलदीप सिंह चौहान ने कहा की बच्चों और महिलाओं के विकास हेतु समर्पित एवं समुदाय से शक्ति प्राप्त करने वाला विभाग होने के नाते महिला एवं विकास विभाग सदैव पंचायतीराज संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य करने के लिए कृतसंकल्प है।
उन्होंने पंचायतीराज संस्थाओं से महिला एवं बाल विकास में और अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया, ताकि समृद्ध और सशक्त भारत की संकल्पना को साकार किया जा सके। कार्यशाला में पंचायत समिति बमसन की अध्यक्ष रीना देवी और खंड विकास अधिकारी रवि कुमार भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।