वैक्सीन का स्टॉक खत्म, 30 लाख लोगों को बूस्टर डोज लगनी बाकी

वैक्सीन का स्टॉक खत्म, 30 लाख लोगों को बूस्टर डोज लगनी बाकी

वैक्सीनेशन में देश भर में रिकार्ड बनाकर तमगा हासिल करने वाले हिमाचल प्रदेश आज वैक्सीन से ही महरूम हो गया है। प्रदेश में 50 लाख लोगों को बूस्टर डोज लगनी थी। जिसमें से 30 लाख लोगों को अभी यह डोज लगाई जानी है। 
क्योंकि कोरोना के देश व प्रदेश में कम हुए मामलों के बाद लोग लापरवाह हो गए और बूस्टर डोज लगाने के नाम से दूर भागने लगे, लेकिन जैसे ही चीन, दक्षिण कोरिया अमरीका और जापान सहित कई देशों में कोरोना के तेजी से मामले बढ़े और प्रदेश स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया, तो लोग फिर से कोरोना को लेकर डरने लगे और अस्पतालों की ओर बूस्टर डोज लगवाने के लिए भागे। 
जिससे अस्पतालों में रखा स्टॉक खत्म हो गया। पिछले करीब एक साल से कोरोना वैक्सीन की डोज कम लगने से इसकी मांग भी कम हो गई, जिससे निर्माता व उत्पादक कंपनियों में वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया शिथिल पड़ गई।
वैक्सीन को बनाने में आने वाला खर्च और इसकी एक्सपायरी डेट के कारण तथा मार्केट में डिमांड कम होने के चलते वैक्सीन का स्टॉक खत्म हो गया। अब जाकर दोबारा से इसकी डिमांड बढ़ी है, तो निर्माता व उत्पादक कंपनियां अब वैक्सीन बनाने में जुट गई हैं, जिससे एक बार फिर मार्केट में कोरोना वैक्सीन उपलब्ध होगी। 
बता दें कि हिमाचल में कोरोना की बूस्टर डोज खत्म हो गई है। प्रदेश में 53 लाख लोगों को यह बूस्टर डोज लगनी थी, लेकिन कोरोना केसिज कम होने के साथ ही लोग लापरवाह हो चले और इसे लगवाने में लापरवाही बरती। केवल 2309623 लोगों को ही बूस्टर डोज लग सकी है, जबकि करीब 30 लाख लोगों को बूस्टर डोज लगानी बाकि है। 
एनएचएम के मिशन निदेशक हेमराज बैरवा ने बताया कि वैक्सीन की डोज की मांग कम होने के कारण उत्पादक कंपनियों ने इसका निर्माण कम कर दिया और जब चौथी वेव की बात सामने आई, तो कोरोना से बेखबर हुए लोग बूस्टर डोज लगवाने के लिए अस्पतालों की ओर भागे, जिससे स्टॉक खत्म हो गया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से 10 लाख डोज प्रदेश के लिए मांगी गई है, ताकि लोग बूस्टर डोज से वैक्सीनेटिड हो सके।