देवभूमि क्षत्रिय संगठन द्वारा सिरमौर की संविधान आधारित शादी का विरोध असंवैधानिक और समाज विरोधी : शोषण मुक्ति मंच
अक्स न्यूज लाइन नाहन 27 अक्तूबर :
जिला सिरमौर में दो सगे भाइयों की शादी, जो संविधान को साक्षी मानकर संपन्न हुई, परदेवभूमि क्षत्रिय संगठन और उसके संस्थापक-अध्यक्ष रुमित सिंह ठाकुर द्वारा दिए गए विरोधी और भड़काऊ बयानों की शोषण मुक्ति मंच ने तीखी निंदा की है।
शोषण मुक्ति मंच के राज्य संयोजक आशीष कुमार ने कहा कि विवाह संविधान की भावना के अनुरूप हुआ है, और इसे लेकर किसी संगठन द्वारा अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करना व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजिक समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा प्रहार है।”
उन्होंने कहा कि देवभूमि क्षत्रिय संगठन द्वारा इस विवाह को ‘सनातन का अपमान’ बताना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि समाज में नफ़रत और विभाजन फैलाने का प्रयास है। भारत का संविधान हर नागरिक को यह अधिकार देता है कि वह अपने जीवन, विश्वास और रिश्तों के निर्णय स्वतंत्र रूप से ले सके। कोई भी संगठन यह ठेकेदारी नहीं ले सकता कि कौन-सा जीवन तरीका ‘धर्मसंगत’ है और कौन-सा नहीं।
आशीष कुमार ने आगे कहा जो लोग संविधान से ऊपर धर्म या परंपरा को रखकर व्यक्तिगत आज़ादी पर सवाल उठाते हैं, वे लोकतंत्र और मानवाधिकारों के विरोधी हैं।
बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जिस संविधान को हमें दिया, वही असली धर्मग्रंथ है जो समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की गारंटी देता है।
शोषण मुक्ति मंच ने स्पष्ट कहा कि सिरमौर में हुई यह शादी सामाजिक परिवर्तन और प्रगतिशील सोच का प्रतीक है। इसका विरोध करने वाले संविधान और आधुनिक भारत की आत्मा के विरोधी हैं। प्रशासन को ऐसे संगठनों के भड़काऊ बयानों पर संज्ञान लेना चाहिए जो समाज को धर्म और जाति के नाम पर बांटने का काम कर रहे हैं।




