लाहौल स्पीति और किन्नौर की योजनाओं के लिए प्रधानमंत्री का आभार : जयराम ठाकुर

जयराम ठाकुर ने कहा कि स्पीति वैली में हाई एल्टीट्यूड स्पोर्ट सेंटर, आइस स्केटिंग रिंक और केलांग में सीवरेज ट्रीटमेंट की आवश्यकता थी और स्थानीय लॉगों की मांग पर मुख्यमंत्री रहते मैने इसकी घोषणा भी की थी। इस संबंध में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी भेजे गए। अब केंद्र सरकार द्वारा सभी परियोजनाओं को मंजूर कर लिया है और हाई एल्टीट्यूड स्पोर्ट सेंटर के लिए 75 करोड़, आइस स्केटिंग रिंक के लिए 08 करोड़ और केलांग में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 26 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर दी है। 27और 28 जून को इन परियोजनाओं का शिलान्यास भी केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू करने वाले हैं। जल्दी ही यह सपना सच में तब्दील हो जाएगा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए हर संभव कदम उठा रही है। जिसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्र सरकार को धन्यवाद देता हूँ।
जयराम ठाकुर ने कहा कि लाहौल स्पीति में विंटर स्पोर्ट्स को प्रोत्साहित करने के लिए हमने 2022 में 9 वीं महिला नेशनल आइस हॉकी चैंपियनशिप का काजा में आयोजन किया था। खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने मैं स्वयं भी वहां गया था। यह सिर्फ खेल टूर्नामेंट नहीं बल्कि लाहौल स्पीति समेत अन्य स्नो बाउंड क्षेत्रों के लिए पर्यटन के विविध अवसरों को प्रोत्साहित करने का माध्यम भी था। जिसके जरिए लाहौल स्पीति समेत हिमाचल के ऐसे खूबसूरत स्थानों से दुनिया और वाकिफ हो और शीत पर्यटन को पंख लग सके। इसकी शुरुआत हमने 2019 में ही बेसिक आइस हॉकी का दस दिवसीय प्रशिक्षण शिविर लगाकर कर कर दी थी। केंद्र सरकार की इन परियोजनाओं से हिमाचल में शीतकालीन खेलों और शीतकालीन पर्यटन को एक नई ऊंचाई मिलेगी इसका मुझे पूर्णविश्वास है।
देश में एक संविधान, एक निशान, एक प्रधान डॉ मुखर्जी का सपना, ऐसी महाविभूति को नमन
जयराम ठाकुर ने अपने विधानसभा क्षेत्र सराज के तुंगधार में प्रखर राष्ट्रवादी और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने डॉ मुखर्जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि देश की एकता, अखंडता हेतु श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान के लिये देशवासी सदैव ऋणी रहेंगे। देश में एक संविधान, एक निशान और एक प्रधान को ध्येय मानकर आजीवन संघर्ष करने वाले डॉक्टर मुखर्जी कश्मीर में ही बलिदान हुए। उनके बलिदान के 66 साल बाद उन्हीं के द्वारा स्थापित की गई विचारधारा की पार्टी की सरकार ने 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35(ए) को कश्मीर से हटाकर उनके सपने को पूरा किया। देश डॉ मुखर्जी के बलिदान का ऋणी है और देश की एकता अखंडता और संप्रभुता के लिए अपने जीवन का बलिदान करने वाले महानुभूति के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता है।