जब 85 वर्षीय मां ने पुश्तैनी घर छोडऩे से किया इंकार: फिर बेटे ने क्या कर दिखाया एक पूर्व सैनिक की सफलता की कहानी,सरकारी नौकरी के लिए भटक रहे हजारों युवा प्रेरणा ले सकते..

जब 85 वर्षीय मां ने पुश्तैनी घर छोडऩे से किया इंकार: फिर बेटे ने क्या कर दिखाया एक पूर्व सैनिक की सफलता की कहानी,सरकारी नौकरी के लिए भटक रहे हजारों युवा प्रेरणा ले सकते..

अक्स न्यूज लाइन नाहन 24 अगस्त : अरुण साथी

भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हो कर आए एक पुर्व सैनिक की 85 वर्षीय मां कृ ष्णा देवी ने जब अपना पुश्तैनी घर छोडऩे से मना कर दिया तब पूर्व सैनिक बेटे ने मां के साथ रह कर ऐसा कर दिखाया और सफलता की नई इबारत लिखी।
 
यह जिक्र भारतीय सेना टेन  पैरा यूनिट से सेवा निवृत्त होकर आए पुर्व  सैनिक प्रेम थापा निवासी  गांव टीब,पंचायत देवका पुडला नाहन की हो रही है। प्रेम थापा ने बताया कि जब उनकी मां ने पुशतैनी घर छोड़ कर साथ रहने से मना कर दिया तो सोचा अब क्या करूं, फिर यकायक अपनी जमीन पर कुछ करने की ठानी ली। कहते हैं कि कुछ करने का ज़न्नुन,जज़्बा,समर्पण व अनुशासन सबसे ज्यादा भारतीय सेना के सैनिकों में ही होता है।
 
ऐसे में पूर्व सैनिक प्रेम थापा यह सब खूबियां लेकर अपने गांव पहुंचे थे। आम आदमी की बात करें तो कुछ करने से पहले उसकी सोच में डर होता। यानी डर के आगे डर। लेकिन प्रेम थापा अपवाद बने। उनको अपने डर के आगे जीत ही जीत नजर आई।
 
बकौल थापा उन्होंने ने मुर्गी पालन की ओर कदम बढ़ाया, एक बीघा जमीन की जाली लगा कर बाड़बंदी की एक शेड बनवाया,करीब चार लाख ख़र्च आया। उन्होंने ने बताया कि फिर करनाल हरियाणा से एक दिन की आयु वाले 500 चूजे लेकर आए। जिनमें आधे ब्लैक एस्ट्रो ऑस्ट्रेलियन ब्रीड व आधे कड़क नाथ इंडियन ब्रीड थे। आने वाले महीनों में अंडों की बिक्री शुरू होगी। थापा रोजाना अपनी पत्नी के साथ मुर्गी पालन में लगे है। 
 
थापा आज उन हजारों बेरोजगारो के लिये प्रेरणा स्रोत्र बने है जो आज युवा सरकारी गैर सरकारी रोजगार के पीछे सड़कों पर धक्के खा रहे हैं। नारेबाजी कर रहे हैं ओर सरकार से नौकरी की गुहार लगा रहे है। कम संसाधनों के बीच भी सफलता कदम चुम सकती है। ऐसी सफलता के लिए बस इच्छा शक्ति,समर्पण व अनुशासन चाहिए रास्ते तो खुद ब खुद बनेंगे।
 
पूर्व सैनिक प्रेम थापा ने मुर्गी पालन का प्लान तो अपनी मां की ख़ुशी के लिए सेना में 16 साल की सर्विस के बाद, 5 साल सरकारी नौकरी का इंतजार करने व नीजि क्षेत्र में अलग अलग काम करते हुए बनाया। फिर नौकरी की तालाश में बेरोजगारों की लंबी कतार में खड़ा युवा अपने सपनों को साकार करने के लिए खुद आगे आना चाहिए और पुर्व सैनिक प्रेम थापा से सीख लेनी चाहिए।