कांगड़ा जिले में 7693 स्वयं सहायता समूह के माध्यम से मातृशक्ति बढ़ रही स्वावलंबन की ओर

कांगड़ा जिले में 7693 स्वयं सहायता समूह के माध्यम से मातृशक्ति बढ़ रही स्वावलंबन की ओर

57096 महिलाओं ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत पाया स्वरोजगार
धर्मशाला, 23 जनवरी। स्वावलंबन किसी भी वर्ग को सशक्त बनाने का सबसे अच्छा माध्यम है। आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की पूर्ति हेतु भी भारत के गांव, नगर और वहां रहने वाले लोगों का आत्मनिर्भर होना अति आवश्यक है। जिला कांगड़ा में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन महिलाओं को स्वावलंबन की ओर अग्रसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन महिलाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध करवाकर अपने पैरों पर खड़ा होने का सुअवसर प्रदान कर रहा है। इसके तहत गांव-देहात में रहने वाली महिलाएं स्वयं सहायता समूह का निर्माण करके स्वावलंबन की राह थाम रही हैं। कांगड़ा जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत 7693 स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं। इन स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से जिले की 57096 महिलाएं स्वावलंबन की राह थाम आत्मनिर्भर बन रही हैं।
जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के परियोजना अधिकारी सोनू गोयल ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिले में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से स्वयं सहायता समूहों के गठन पर बल दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में पंजीकृत कुल 7693 स्वयं सहायता समूहों में से 1890 इस वर्ष बनाये गये हैं, जबकि वर्ष का लक्ष्य 1200 स्वयं सहायता समूह बनाने का था। उन्होंने कहा कि इस वर्ष बने 1890 स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से जिले के 13973 परिवारों की महिलाओं को जोड़ा गया है।
 कार्य के लिए सरकार द्वारा फंड करवाया जा रहा उपलब्ध
उन्होंने बताया कि स्वयं सहायता समूहों को अपना कार्य करने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत फंड भी सरकार द्वारा उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में 2022-23 में अभी तक 924 स्वयं सहायता समूहों को 23 लाख 10 हजार का स्टार्ट-अप फंड, 1021 स्वयं सहायता समूहों को 190 लाख का रिवॉलविंग फंड, 76 विलेज ऑर्गेनाईजेशन को 31 लाख 90 हजार का स्टार्ट-अप फंड, 312 स्वयं सहायता समूहों को 127.42 लाख का कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड मुहैया करवाया गया है। इस अनुदान के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अपनी क्षमताओं और उपलब्ध संसाधनों का सदुपयोग कर अपने लिए आजीविका के रास्ते निर्मित कर रही हैं।
 हिम-इरा शॉप के माध्यम से हो रही कमाई
 स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री के लिए प्रशासन द्वारा हिम-इरा शॉप स्थापित करवाई गईं हैं। जिले में महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से जो भी उत्पाद बनाती हैं, उनका विक्रय हिम-इरा शॉप में होता है। हिम-इरा शॉप में हाथों से बने उत्पादों के अलावा खेती के उत्पादन भी बेचे जाते हैं। जिले के 15 ब्लॉक में विभिन्न स्थानों में 21 स्थाई हिम-इरा शॉप चल रही हैं। परियोजना अधिकारी डीआरडरीए ने बताया कि हिम-इरा शॉप के माध्यम से इस वर्ष अब तक 6 लाख 31 हजार 494 रूपये के उत्पाद बेचे जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त जिले में 321 स्थानों पर साप्ताहित हिम-इरा मार्केट भी लगाई गई हैं। जिसके तहत 5 लाख 9 हजार 81 रूपये की आमदन की गई है।
उन्होंने बताया कि इसका लाभ गांव की साधारण महिलाओं और कृषकों को मिल रहा है। जिले में स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों की अच्छी पैकेजिंग और मार्केटिंग के लिए ओर उपयुक्त मार्ग प्रशासन द्वारा तलाशे जा रहे हैं। आचार, चटनी, पापड़, बडि़यां, मुरब्बा, स्थानीय हस्तकला और हस्तकरघा जैसे कईं उत्पाद जो आसानी से स्थानीय स्तर पर अच्छी क्वालिटी के साथ उपलब्ध हो सकते हैं, उनकों इस स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से तैयार किया जा रहा है। इससे जहां इन चीजों के लिए बड़े ब्रांडस् पर हमारी निर्भरता कम होगी, वहीं स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
 कृषि आजीविका के तहत मिल रहा महिलाओं को प्रशिक्षण
    परियोजना अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिला कृषकों को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। अपने खेत-खलिहानों और पशुपालन के जरिए भी जो महिलाएं अपनी आजीविका अर्जित कर स्वावलंबी बनना चाहती हैं, उनको भी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सरकार द्वारा सहयोग दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में कृषि आजीविका के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में लगभग 7 हजार महिलाओं को जोड़ा गया है।
उन्होंने बताया कि कृषि आजीविका के तहत कृषि विभाग और पशुपालन विभाग के माध्यम से इन महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिले में इस वर्ष अभी तक 168 कृषि सखी और पशु सखी को कृषि विभाग और 163 को पशुपालन विभाग के सहयोग से प्रशिक्षण दिया गया है।
 कृषि उपकरणों को किराये पर देकर विलेज ऑर्गेनाईजेशन कर रहीं कमाई
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत एक क्षेत्र में बने विभिन्न स्वयं सहायता समूह के उपर एक विलेज ऑर्गेनाईजेशन बनाई गई है। परियोजना अधिकारी ने बताया कि जिला कांगड़ा में वर्ष 2022-23 में ऐसे 265 विलेज ऑर्गेनाईजेशन बनाए गए हैं। कृषि आजीविका के तहत विलेज ऑर्गेनाईजेशन को चार लाख के कृषि उपकरण भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। कस्टम हायरिंग सेंटर में उपलब्ध इन उपकरणों का उपयोग कृषि सखियां और आम जनमानस भी कर सकते हैं। इन कृषि उपकरणों को किराये पर देकर विलेज ऑर्गेनाईजेशन आमदन प्राप्त कर रही हैं। इन उपकरणों का उपयोग लोग अपने कृषि संबंधित कार्यों के लिए कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि जिले में वर्ष 2021-21 में 4 ब्लॉक की पांच ग्राम पंचायत में कार्यरत चार विलेज ऑर्गेनाईजेशन को कस्टम हायरिंग सेंटर खोल के दिये गये थे, जिनमें कृषि उपकरण उपलब्ध करवाए गए थे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022-23 में आठ विकास खंडो में 8 ग्राम पंचायतों की विलेज ऑर्गेनाईजेशन को कस्टम हायरिंग सेंटर के साथ कृषि उपकरण उपलब्ध करवाये जाएंगे। उन्होंने बताया कि कस्टम हायरिंग सेंटर के अन्तर्गत कृषि उपकरण खरीदने के लिए प्रत्येक विलेज ऑर्गेनाईजेशन को 4 लाख रूपये दिये जाते हैं।
क्या कहते हैं उपायुक्त
 उपायुक्त कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल का कहना है कि मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के दिशा निर्देशों के अनुरूप जिला प्रशासन महिला शक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने इसमें बड़ी मदद की है। इससे महिलाएं स्वावलम्बी बनी हैं साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में अपनी भूमिका निभा रही हैं। वहीं, स्थानीय परंपराओं और लोक जीवन से जुड़े उत्पादों और कामों को भी बढ़ावा मिल रहा है।
महिला सशक्तिकरण के लिए जहां सरकार और प्रशासन नए रास्ते विकसित कर रहे हैं, वहीं समाज का भी इसमें शत-प्रतिशत योगदान वांछित है।