जवाबदेही के साथ करें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल: राज्यपाल

राज्यपाल ने कहा कि शब्दों का बहुत गहरा प्रभाव होता है। शब्दों से मित्रता और शत्रुता दोनों ही हो सकती है इसलिए इनका इस्तेमाल विनम्रता और गरिमा के साथ किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक सभ्य समाज में हमारे वार्तालाप में शालीनता और सम्मान झलकना चाहिए।
राज्यपाल ने द्वेषपूर्ण भाषा की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि समाज के कुछ प्रतिनिधियों और वर्गों के बीच सार्वजनिक संवाद का गिर रहा स्तर निराशाजनक है। उन्होंने संवाद में मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए नागरिकों से उन लोगों का समर्थन न करने का आग्रह किया जो द्वेषपूर्ण या विभाजनकारी बयानबाजी करते हैं।
उन्होंने कहा कि हिंसा केवल शारीरिक कृत्यों तक ही सीमित नहीं है, आहत करने वाला और द्वेषपूर्ण भाषण भी हिंसा का एक रूप है। उन्होंने कहा कि हमें अपने देश और समाज के हित में इसका पूरी तरह से खंडन करना चाहिए। राज्यपाल ने शिक्षक समुदाय से युवा पीढ़ी को भाषा के जिम्मेदाराना इस्तेमाल के प्रति संवेदनशील बनाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का युवाओं के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) योगेश सिंह ने समारोह की अध्यक्षता की और द्वेषपूर्ण भाषा के कानूनी और नैतिक आयामों को उदाहरणों के साथ समझाते हुए अनुच्छेद 19 पर विस्तार से चर्चा की।
अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता विधि संकाय प्रो. अंजू वली टिकू ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और संगोष्ठी के उद्देश्यों को रेखांकित किया। आईएलसी निदेशक प्रो. एल. पुष्प कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विभाग के संकाय सदस्य, कर्मचारी और छात्र भी उपस्थित थे।