राजस्थान में लम्पी वायरस का कहर, कांग्रेस नेता जनता को कर रहे गुमराह : नंदा

राजस्थान में लम्पी वायरस का कहर, कांग्रेस नेता जनता को कर रहे गुमराह : नंदा

शिमला, भाजपा सह मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने कहा की कांग्रेस एक बार फिर लम्पी वायरस पर नकारात्मक राजनीति कर अपना दोहरा चेहरा जनता के सामने आई है।
नंदा के कहा की हिमाचल सहित देश के कई राज्यों में गोवंश में लम्पी वायरस फैला है । यह वायरस एक अत्यंत संक्रामक रोग है । इस पर काबू पाने के लिए सरकार और विभाग युद्ध स्तर पर कार्य कर रहा है । टीमें फिल्ड पर पूरी तरह से एक्टिव है ।
नंदा ने कहा लंपी वायरस को लेकर सरकार की ओर से 18 अगस्त , 2022 को एक अधिसूचना जारी की गई थी । इस अधिसूचना के अनुसार समस्त जिला के जिलाधीशों को प्राधिकृत अधिकारी घोषित किया गया है । इसके साथ ही पशुओं के आवागमन पर रोक लगा दी गई है ।
अधिसूचना जारी होने से राजस्व विभाग की राहत पुस्तिका के अनुसार मृत पशुओं के मालिकों को मुआवजा उपलब्ध होगा ।
2 सितम्बर , 2022 को सभी जिलों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल के नौ जिलों में कुल 44,022 पशु इस रोग से ग्रसित पाए गए । इनमें 1,623 गौवंश की मृत्यु दर्ज की गई है तथा अब तक 14820 पशु ठीक भी हो चुके हैं । प्रभावित क्षेत्रों के आस - पास पांच किलोमीटर के दायरे में रोग प्रतिरोधी टीकाकरण किया जा रहा है अब तक 1,21,080 पशुओं को वैक्सीन लगाई जा चुकी है ।
सभी जिलों में रोगी पशुओं के उपचार के लिए दवाइयां उपलब्ध हैं और वैक्सीन खरीदने के लिए 12 लाख रूपये की अतिरिक्त धनराशि जारी कर दी गई है । पशु पालन विभाग के प्रयासों से शीघ्र ही इस रोग पर नियंत्रण पा लिया जाएगा । कांग्रेस की ओर से की जा रही राजनीति हिमाचलवासियों ने कोविड के समय भी देखा कि कैसे कांग्रेस के नेता लोगों को मदद करने की जगह राजनीति कर रहे थे । अब भी वैसे ही हालात हैं ।
लंपी वायरस से सबसे ज्यादा मौतें राजस्थान में हुई हैं । वहां के सरकारी आंकड़ों में 45 हज़ार से ज्यादा पशुओं की मौत हो चुकी है । लेकिन मुकेश अग्निहोत्री को यह दिखाई नहीं देता । हां , उन्हें हर बार किसी बीमारी पर राजनीति करनी हैं क्योंकि उन्हें आपदा में भी वोट बैंक दिखाई देता है ।
यह बेहद शर्मनाक है कि हर समय कांग्रेस के लोग आपदा में भी राजनीति करने के लिए आगे आ जाते हैं । अच्छा होता यदि मुकेश अग्निहोत्री के पास कोई सुझाव हैं तो वो ये सुझाव राजस्थान को भी देते ताकि वहां इतने पशुओं की मौत न होती ।