मुम्बई ब्रिटिश काल से ही पहाड़ी लोगों को चुंबक की तरह खींचती रही
अक़्स न्यूज लाइन,शिमला--16 दिसंबर
देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में हिमाचलियों की अलग सांस्कृतिक पहचान के लिए कुछ प्रोफेशनल्स ने
"फ्रेंड्स ऑफ़ हिमाचल " मुम्बई चैप्टर की शुरुआत की है /
बैसे तो मायानगरी मुम्बई ब्रिटिश काल से ही पहाड़ी लोगों को चुंबक की तरह खींचती रही और सिनेमा , ब्यापार ,ब्यबसाय और प्रोफेशनल क्षेत्रों में हिमाचलियों ने काफी नाम और शोहरत कमाई है / कँगना रनौत , प्रिटी जिंटा , अनुपम खैर के साथ ही अनेक हिमाचलियों ने कला , ब्यापार और अन्य ब्यबसायों में ऊँचा मुकाम हासिल किया है लेकिन आज तक माया नगरी में बसे हिमाचलियों को एक लड़ी में पिरोने की कभी गम्भीरता से कोशिश नहीं की गई /
फ्रेंड्स ऑफ़ हिमाचल मुम्बई चैप्टर के संस्थापक समीर सूद का कहना है की महानगरों में हिमाचलियों को काफी सम्मान और इज़्जत से देखा जाता है लेकिन हिमाचलियों ने ब्यक्तिगत प्रतिष्ठा हासिल करने के सिबाय कभी भी सामूहिक रूप से अपनी बिशिष्ट छबि बनाने की कोशिश नहीं की जिसकी बजह से मुम्बई जैसे महानगर में हिमाचली पकबान , सांस्कृति , सभ्यता और शिष्टाचार के बारे में ज्यादातर लोग बाक़िफ़ नहीं हैं जबकि उनके मन में हिमाचल की एक साफ सुथरी छबि है / शिमला के सेंट्रल स्कूल में पढ़े समीर सूद ने मुम्बई के प्रतिष्ठित इंस्टिट्यूट से होटल मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षा ग्रहण की और अब मुम्बई के प्रतिष्ठित होटल लीला पैलेस में महाप्रबंधक के प्रतिष्ठित पद पर कार्यरत हैं
समीर सूद का कहना है की पुराने जमाने में जहां ज्यादातर पहाड़ी युवक ड्राइविंग , घरेलु कार्यों, होटल में वेटर आदि की खोज में मुम्बई आते थे ताकि परिबार में रोजी रोटी की ब्यबस्था सुनिश्चित की जा सके लेकिन अब मुम्बई का रुख करने बाले ज्यादातर युवक उच्च शिक्षिति होते हैं जोकि कॉर्पोरेट सेक्टर में अपना कैरियर खोजते हैं और कुछ तो दूसरे शहरों से मुम्बई ट्रांसफर होकर आते हैं / बर्तमान में ज्यादातर पति ,पत्नी दोनों ही उच्च शिक्षित होते हैं और उनकी प्राथमिकता हाई पेड और प्रतिष्ठित नौकरी ग्रहण करना होता है जबकि पुराने समय में लोग महज रोजी , रोटी की तलाश और परिबार की मूलभूल जरूरतों को पूरा करने के लिए ही मुम्बई आते थें /
फ्रेंड्स ऑफ़ हिमाचल मुम्बई चैप्टर के संस्थापक समीर सूद का कहना है की बदली परिस्थितिओं में यह महसूस किया गया की मुम्बई में रहने बाले हिमाचलियों की एक संस्था का गठन किया जाये जोकि मिनी हिमाचल का स्वरूप ग्रहण कर सके और हिमाचल को सही परिप्रेक्ष में मुम्बई में प्रदर्शित कर सके / इस चैप्टर की शुरुआत ब्यक्तिगत सम्पर्क साध कर की गई और टेक्नोलॉजी ने इसमें अहम भूमिका निभाई क्योंकि ज्यादातर लोगों को व्हाट्सएप्प / इ मेल या सोशल मीडिया के माध्यम से सम्पर्क किया गया /
उनका कहना है की ज्यादातर युवक ऐसे मंच की तलाश में थें ताकि बह अपने राज्य के लोगों से जुड़ सकें और संगठन के माध्यम से अपनी माटी की सेवा भी कर सकें /
हिमाचली युवक अनेक बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनीयों में ऊँचे पदों पर हैं और अब अगर किसी हिमाचली युवक को रोजगार आदि का संकट खड़ा होता है तो सभी मिलकर उसे इस संकट से निकालने की कोशिश करते हैं / इसके इलाबा अपने क्षेत्र के ब्यंजनो , त्योहारों आदि की जानकारी भी साँझा करते रहते हैं जिससे आपस में भावनात्मक लगाब बढ़ता है /
उनका कहना है की समय के आभाव और दुरी की बजह से अब तक ज्यादातर मीटिंग्स ऑनलाइन ही आयोजित की जा रही हैं लेकिन भविष्य में किसी सेंट्रल पॉइंट पर सभी लोगों को इकठा करने की कोशिश की जाएगी / उनका मानना है की इस कोशिश के साकारत्मक परिणाम सामने आये हैं जोकि हिमाचल और मुम्बई के प्रवासी हिमाचली दोनों के लिए लाभदायक साबित होंगे