बरसात में डूबी नगरपालिका व्यंग्य : संतोष उत्सुक

जलदेव के ज्यादा प्रसन्न हो जाने के कारण, शहर के बाज़ारों में तीन फुट पानी खड़ा हो गया । नालियां डूब गई कितनी ही दुकानों के अन्दर तक एक डेढ़ फुट पानी पसरा रहा। म्युनिसिपल कमेटी में फोन किया तो बताया कि ज्यादा कर्मचारी वृक्षारोपण में अति अस्तव्यस्त हैं । अध्यक्ष महाराज ने फोन सुना नहीं, पार्षद राजा ने झट से काट दिया। काफी देर बाद, तीन बंदे अध्यक्ष महाराज के दरबार में हाज़िर हुए। गले में लटका महंगा मास्क मुंह पर बिठाकर बोले, वार्षिक वृक्षारोपण के अवसर पर, परम आदरणीय मंत्रीजी को पौधे पकड़ा रहा था उन्होंने पूरे इक्कीसपौधे लगाए। आम लोगों ने ख़ास बंदे से गुजारिश की, आप चलकर देखें, बारिश के कई दिन बाद भी बाज़ार में डेढ फुट पानी खड़ा है। पानी की निकासी नहीं है । अध्यक्ष बोले, सकारात्मक सोचो, इंद्रदेवजी ने बारिश का आशीर्वाद दिया । अगर सब ठीक है तो बच्चों को बोलो कागज की कश्तियाँ बना कर तैराएं, आपको भी अपना बचपन याद आ जाएगा। जनता बोली, चार साल पहले नगरपालिका ने सीमेंट का फर्श डलवाया था तब से हर बरसात में पानी दुकानों में घुस जाता है। अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा, जब फर्श डाला था तब दूसरी पार्टी की सरकार थी, हम भी अध्यक्षन थे । घबराएं नहीं, अध्यक्ष बोले, हम जांच करेंगे पहले क्या क्या गलत हुआ है। आपको जानकर खुशी होगी,कामकाज दोबारा शुरू हो चुका है और हमने इस मामले को राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन के अंतर्गत ले लिया है। हम क्षेत्र की साफ सफाई बारे बहुत अच्छे तरीके से बैठकें करने जा रहे हैं जिसमें गहन विचार विमर्श होगा । आपको पता है अच्छे काम को बढ़िया तरीके से करने में वक़्त लगता है। ऊपर वाले की ग़लती के कारण बारिश ज़्यादा हो गई, नहीं आपको कोई दिक्कत नहीं होती, प्राकृतिक आपदा के सामने किस का बस चलता है। हमने मेहनत क महामारी पर भी काबू लगभग पा ही लिया है। आप भी ध्यान रखें। आम लोगों ने घर पहुंच कर देखा तो बच्चे बारिश के पानी में कागज़ की कश्ती से खेल रहे थे, बोले, देखो पापा, आप भी बचपन में ऐसा ही करते थे न ?
गुलिस्तान ए साथी, पक्का तालाब, नाहन 173001 (हिप्र) 9816244402