भाजपा से सिरमौर का किला तो मोदी लहर में भी फतेह नही हुआ था
जिले की 5 सीटों में से 3 पर मिली थी, 2 गई थी कांग्रेस के पाले में
नाहन, जून सत्ताधारी भाजपा से सिरमौर का किला तो र्ष 2017 केविधानसभा चुनाव में मोदी लहर में भी फतेह नही हुआ था यह अलग बात है कि भाजपा इस साल होने वाले चुनाव में जिले की पांचों सीटों पर कब्जा करने के दावों में लगी है। विधानसभा चुनाव को लेकर जिला सिरमौर में कांग्रेसी भाजपा अपनी सियासी गोटियां फिट करने में लगी है।
2017 के चुनावी नतीजों पर गौर करें करें तो उस वक्त मोदी लहर पूरे देश में थी लेकिन लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी इसके बावजूद जिला संभाग की की 5 सीटों में से भाजपा को केवल 3 सीटें 3 सीटें मिली थी 2 सीटों पर कांग्रेस ने अपना कब्जा बरकरार रखा था। 2017 में नाहन विस से विधायक डा. राजीव बिंदल ने कांग्रेंस के अजय सोलंकी को हराकर यहां से दूसरा चुनाव जीता था। शिलाई से कांग्रेस के हर्षवर्धन चौहान ने मुख्यमंत्री के खास बलदेव तौमर को शिस्कत दी थी। पांवटा साहि ब से चौधारी सुखराम ने रिकार्ड मतों से बाजी मारी थी। श्री रेणुका जी से विनय कु मार दुसरी चुनाव जीते व पच्छाद से सुरेश कश्यप विधायक बने लेकिन सांसद चुने के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा की रीना कश्यप ने चुनावी जगं जीती थी।
अब 2022 में होने वाले चुनाव में दोनों में उम्मीदवारों की दोनों दलों में लिस्ट लंबी होगी। कांग्रेस भाजपा को कई सीटों पर टिकट को लेकर गुटबाजी से दोचार होना पडेगा। एक बार फि र चुनावी समर में उतरने की तैयारी नेता करने के लगे है। पांवटा विधानसभा क्षेत्र के दिग्गज कांग्रेसी नेता अनिंदर सिंह नॉटी व शिलाई से मनीष ठाकुर के आप में शामिल होने से कांग्रेस को पहले ही झटका लग चुका है। रेणुका विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के विधायक विनय कुमार के सामने भाजपा के दावेदारों की संख्या कम नहीं है।
सिरमौर में हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने का मामला गरमाया है। दर्जा चुनाव से पहले मिलता है तो तीन सीटों पर भाजपा की राहें आसान हो सकती है भाजपा नेता कह रहे है कि दर्जा मिलने वाला है। कांग्रेस के विधायक भी सुर में सुर मिला रहे है लेकिन दर्जा देने की गेंद केन्द्र सरकार के पाले में है। इसी कड़ी में दलित सरंक्षण मंच का विरोध सामने आने के बाद क्षेत्र के सियासी नेताओं की परेशानी बढी है।