अक्स न्यूज लाइन शिमला 15 फरवरी :
भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने ठाकुर राम सिंह की जयंती पर कहा कि साहित्य और इतिहास के क्षेत्र में ठाकुर राम सिंह जीवनभर एक योद्धा की तरह सक्रिय रहे। साहित्य के क्षेत्र में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने चुनौती को सहर्ष स्वीकार किया। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में 15 फरवरी 1915 को जन्में ठाकुर राम सिंह ऐसी विभूति थे, जिन्होंने भारतीय इतिहास में हुए तथाकथित भ्रष्टाचार व कुरीतियों को मिटाकर भारतीय इतिहास को नए सिरे से रचने का बीड़ा उठाया था।
नंदा ने कहा कि भारत में शिक्षा जगत में भारतीय इतिहास के सही और गलत होने पर जितनी बहस और चर्चा है, उतनी अन्य किसी विषय पर नहीं है। ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि ऐसे महान पुरुषों व शख्सियतों के विषय में जाना जाए, जिन्होंने भारत के सच्चे इतिहास को खोजने व रचने में अग्रणी भूमिका अभिनीत की हो। इस कार्य में ठाकुर राम सिंह का बहुत बड़ा योगदान रहा है। ठाकुर राम सिंह ऐसे इतिहासविद हुए, जिन्होंने इतिहास को पढ़ा ही नहीं, गलत रचे इतिहास के पीछे छिपे वास्तविक इतिहास को जाना और स्वयं इतिहास गढ़ा भी। ठाकुर राम सिंह का जीवन नदी के प्रवाह जैसा रहा है। उनके साथ स्वर्गीय शब्द जोड़ना पीड़ा देता है। ठाकुर राम सिंह के पास भी जो कुछ था, वह उन्होंने सारा देश समाज को समर्पित कर दिया। वह ऐसे व्यक्ति थे जिनके बारे में बहुत सी बातें बताई जा सकती हैं। ठाकुर राम सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुशल स्वयंसेवक व जमीन से जुड़े ऐसे प्रचारक रहे, जिनके अंदर जो उग्रता थी, वह तोड़ती नहीं थी वह हम सबको उनसे जोड़ती थी। वह कार्य और व्यवहार के अनुरूप थी। असम का प्रसंग है कि ठाकुर राम सिंह को एक कार्यकर्ता ने कहा कि आप मेरा विषय बदल दो। उनका स्पष्ट उत्तर था, असम में विषय बदलने नहीं, व्यक्ति को बदलने आया हूं। यह थी उनकी कठोरता। हमें जिस दिशा की ओर बढ़ना है उसके अनुरूप हमें अपने शरीर और चिंतन को बदलना है। विषय नहीं बदलना है, हमें बदलना है। ठाकुर राम सिंह की भारतीय इतिहास दृष्टि इतनी दूरगामी थी कि वह भारत के गौरवमयी इतिहास के प्रति एक व्यापक और सूक्ष्म दृष्टिकोण रखते थे। उन्होंने अपने जीवन काल में भारत के इतिहास के पुनःलेखन की पृष्ठभूमि तैयार कर विकृतिकरण के छद्म दृष्टिकोणों के निराकरण के सुझाव प्रदान किए। वे स्वयं इतिहास के श्रेष्ठ छात्र थे और स्वाधीनता आंदोलन की प्रत्येक घटना के साक्षी थे। इसी कारण उन्होंने पराधीन भारत के इतिहासकारों द्वारा लिखे गए भारत के इतिहास के दृष्टिकोणों को तथ्यों सहित समाज के समक्ष रखा। ठाकुर राम सिंह की मान्यता थी कि किसी भी राष्ट्र के निर्माण एवं उज्ज्वल भविष्य के उदय के लिए उस राष्ट्र के इतिहास का विशेष योगदान रहता है। विदेशी आक्रांता ग्रीक, मुसलमान रहे हों या अंग्रेज, वे इन तथ्यों को भली-भांति जानते थे कि यदि किसी राष्ट्र पर शासन करना हो तो उसके इतिहास को सर्वप्रथम नष्ट कर दो। ठाकुर राम सिंह जो इस बात पर बल देते थे कि काल, इतिहास की आत्मा है। भारत में काल की प्राचीन अवधारणा ही काल की वैज्ञानिक अवधारणा है। ठाकुर राम सिंह काल की प्राचीन अवधारणा के अनुसार इतिहास लेखन के पक्ष में थे, उनका कहना था कि भारत ही ऐसा राष्ट्र है, जहां प्रकृति का इतिहास और मानव इतिहास काल के खंडों में विद्यमान है।