नौनिहालों में फुटबॉल सीखने का जुनून...... -3 सालों में अंडर 14 व 16 टीमें तैयार होगी
नाहन, :शहर के 10-12 साल केनौनिहालों में फुटबॉल सीखने का जुनून एक बहेतर खिलाड़ी बनाएगा आने वाले 3 सालों में अंडर 14 व अंडर 16 वर्ग के शहर के भावी फुटबॉल टीमें तैयार हो जाएंगी। शहर के नामी फुटबॉलर नौनिहालों को फुटबॉल के टिप्स बता रहे है। एक जमाने में दशकों पहले फुटबॉल का जनून उफान पर था । लेकिन वक्त के साथ-साथ फुटबॉल खेलने वालों का ग्राफ नीचे गया। लेकिन शहर के नौनिहालों को बचपन में ही मैदान में फुटबॉल के टिप्स बताकर उन्हें फुटबॉल का खिलाड़ी बनाने के लिए शहर के नामी फुटबॉलर अब यह बीड़ा उठा चुके है।
आने वाले 3 सालों में शहर के फुटबॉल सीख रहे यह नौनिहाल अंडर 14 व अंडर 16 टीमों में शामिल होकर के मैदान में दमखम दिखाएंगे। नामी फुटबॉलर, साई के सेवानिवृत्त कोच नरेंद्र थापा, फुटबॉलर शिवराज शर्मा व गजेन्द्र छेत्री नौनिहालों के साथ मैदान में उतरे है।
नरेंद्र थापा ने बताया पिछले कई महीनों से नौनिहालों इनकी उम्र महज 10 से 12 साल से के बीच होगी को फुटबॉल का खिलाड़ी बनने के लिए मैदान में टिप्स दिए जा रहे हैं। थापा ने बताया कि आने वाले 3 सालों में नाहन से अंडर 14 अंडर व अंडर 16 टीमें तैयार हो जाएगी। उन्होने बताया कि अक्सर कहा जाता था कि फुटबॉल खेलने वाले या सीखने वाले नहीं मिलते। लेकिन पिछले कुछ महीनों से मैदान में आने वाले इन नौनिहालों इस धारणा को गलत साबित कर दिया है। थापा के अनुसार ज्यादातर नौनिहालों में फुटबॉल सीखने के लिए इतना जुनून रोजना प्रात:काल पांच बजे ही मैदान में पहुंचते है।
उन्होंने बताया कि आज नौनिहाल के अभिभावक भी पीछे नहीं है। अभिभावक भी खुद मैदान में आते है। थापा ने बताया कि नौनिहालों का फुटबॉल सिखाने के लिए किसी किस्म की सरकारी मदद अभी तक ना मिली है और ना ली गई है। यह सब अपने स्तर पर ही किया जा रहा है। उन्होने बताया कि सेवा के दौरान उन्होंने यह तय कर लिया था कि अपने अन्य सेवानिवृत्त होने वाले नाहन के फुटबॉल कोच मित्रों के साथ शहर के नौनिहालों को फुटबॉल का बेहतर खिलाड़ी बनाने के लिए खेल मैदान में लेकर आएंगे। नौनिहालों के जनून और जज्बे को देखकर लगता है
। उनका सपना पुरा होगा। आने वाले 3 सालों में शहर में फुटबॉल का पुराना गौरव लौटेगा। गौरतलब है कि साठ के दशक में भारतीय सेना में रहे भुपेंद्र रावत नामी फुटबॉलर रहे जो भारतीय टीम में शामिल होकर देश के लिए खेले। उसके बाद कई नामी फुटबॉलर सामने आए लेकिन कुछ सालों से फुटबॉल के क्षेत्र में उपलब्धि सामने नहीं आई। फुटबॉल की विरासत अब शहर के फुटबॉलर बनने वाले नौनिहालों के हवाले होगी।