आत्मनिर्भर हिमाचल और किसानों की आय दोगुनी करना सरकार का लक्ष्य - चंद्र कुमार

बैठक में विभाग की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की गई। सभी योजनाओं के नोडल अधिकारियों ने योजनाओं को लेकर प्रस्तुतीकरण भी दिया।
कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि देश की सीमाओं के प्रहरी के तौर पर चरवाहों की अहम भूमिका है। हमारी सीमाओं की, पर्यावरण के संरक्षण के लिए उनका योगदान हमेशा अग्रणी रहा है। इसमें गद्दी, गुज्जर आदि मुख्य तौर पर शामिल है। इनके लिए एक व्यापक योजना तैयार की गई है, जिसका नाम *पहल* रखा गया है। इस योजना को केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इस योजना से चरवाहों को काफी लाभ मिलेगा।
उन्होंने कहा जहां-जहां डायरी कोऑपरेटिव सोसायटी बनाई जा रही है, वहां पर निरंतर दूध का उत्पादन होना चाहिए। इसके साथ ही ऐसी जगह सोसायटी स्थापित हो जहां से दूध एकत्रित करने के लिए आसानी भी हो सके। भविष्य की मांग को देखते हुए इन सोसायटी का गठन किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए है जिन पंचायतों में सोसायटी स्थापित नहीं करना चाहते है, वहां की पंचायत को प्रस्ताव पास करके देना होगा कि पंचायत डायरी सोसायटी स्थापित नहीं करना चाहती है। यह प्रस्ताव सभी पंचायत सदस्यों की मौजूदगी में होगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए है सोसायटी का पंजीकरण निर्धारित समय 15 अक्टूबर 2025 तक करें। इसमें देरी होने पर संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
उन्होंने कहा कहा कि आत्मनिर्भर हिमाचल और किसानों की आय दोगुनी करना सरकार का लक्ष्य है। पशुधन होगा तो कृषि हो पाएगी। दोनों एक दूसरे के पूरक है। उन्होंने प्रदेश के पशु अस्पतालों में सभी दवाइयों की उपलब्धता शीघ्र मुहैया करवाने के निर्देश दिए है। प्रदेश में टैगिंग और बिना टैगिंग के पशुओं का इलाज करवाने के लिए फील्ड स्टाफ कार्य करे। उन्होंने विभाग को निर्देश दिया है कि विभाग के अंदर स्टडी ग्रुप बनाया जाए, जिसका काम विभाग की क्रियान्वयन को बेहतरी के लिए सुझाव एवं योजना बनाना होगा। इसमें विशेषज्ञ भी शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में पशुपालन विभाग के ढांचे का पुनर्गठन किया जाएगा। इसके तहत लोगों की सुविधा के हिसाब से आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ किया जाएगा। अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की जाएगी। वहीं अत्याधुनिक सुविधा भी मुहैया करवाई जाएंगी।
प्रदेश में लाइवस्टॉक सेंसस के तहत 25 सितंबर 2025 तक 3517937 जनसंख्या है। प्रदेश में पशुओं के लिए वैक्सीन 100 फीसदी का लक्ष्य हासिल किया जाएगा।
*डायरी कोऑपरेटिव सोसायटी*
विभाग की ओर से पहले चरण में 533 ग्राम पंचायतों को चिन्हित किया गया है। जहां पर प्रतिदिन 200 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन हो रहा है । इनमें अभी तक 331 डायरी कोऑपरेटिव सोसायटी का गठन किया जा चुका है । दूसरे चरण में 518 ग्राम पंचायतें जहां पर 100 से 200 लीटर के आसपास रोजाना दूध उत्पादन है। वहां पर इन सोसायटी का गठन किया जाएगा। हिमफैड की ओर से 108 नई डायरी कोऑपरेटिव सोसायटी से दूध की खरीद की जा रही है । ये करीब 30, 475 लीटर प्रतिदिन एकत्रित किया जा रहा है।
*दूध प्रोत्साहन योजना 4 अक्टूबर को होगी शुरू*
किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए पात्र गैर-सरकारी डेयरी सहकारी समितियों को दूध की आपूर्ति करने वाले किसानों के लिए दूध प्रोत्साहन योजना शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत दूध उत्पादकों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) मोड के माध्यम से 3 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। यह योजना 4 अक्टूबर, 2025 को प्रदेश में लांच की जाएगी। इसमें 8 हज़ार सदस्य जमी 4 सोसायटी के है, इन्हें लाभ मिलेगा। यह कदम डेयरी किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा और दूध उत्पादन को बढ़ावा देगा।
*पहल (PEHEL) योजना जल्द होगी शुरू*
प्रदेश में पहल (PEHEL) (Pastoralists Empowerment through Holistic Ecosystem for Livelihoods) आजीविका के लिए समग्र पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से चरवाहों का सशक्तिकरण करना है। इस योजना के तहत 7.9 लाख भेड़ों की जनसंख्या, बकरी जनसंख्या 11.10 लाख, ऊन उत्पादन 1434 टन, मीट उत्पादन 5429 टन, माइग्रेटरी जनसंख्या 60 से 70 फीसदी को आधार बनाया गया है। इस पहल योजना के तहत चरवाहों की विभिन्न चुनौतियों का समाधान किया जाएगा। इसमें पारंपरिक पशुपालन की चुनौतियों के समाधान को लेकर विस्तृत कार्य करने का लक्ष्य है । भेड़ बकरी की नई जनरेशन को विकसित करने पर जोर दिया जाएगा। पिछले 20 सालों में 27 फीसदी भेड़ और 5 फीसदी बकरियों की जनसंख्या में गिरावट हुई है। इस योजना के तहत 294.36 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के तहत डिजिटल पंजीकरण, गौरी (GAURI - Gene Led Animal upliftment and Resilience Initiative) के तहत विदेशी नस्लों का प्रसार, पलाश ( PALASH - puhal Assistance, livelihood and security Help) के तहत चरवाहों को सब्सिडी और इंश्योरेंस मुहैया करवाना, वैध (VAIDH- Veterinary Access For Immunization, Diagnosis and Health) चरवाहों को वेटनरी स्वास्थ्य देखभाल मुहैया, धारा ( DHARA - Developing Himachal's Animal Based Rural Accelerator) के तहत ऊन, दूध और मीट उत्पादन में नए स्टार्टअप को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस योजना के माध्यम से 15 से 20 फीसदी उत्पादन और आय में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। इसके साथ ही 100 फीसदी चरवाहों को कवर किया जाएगा। इस से 40 हजार परिवारों को लाभ मिलेगा। इसमें युवा, महिलाएं और कमजोर वर्ग को टारगेट किया गया है। जनजातीय क्षेत्र के 100 फीसदी चरवाहों को कवर किया जाएगा। इसमें हिमाचल की ऊन को जी आई टैगिंग दिलवाने के लिए विशेष प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा पहल योजना के माध्यम से स्वरोजगार, रोजगार, चारे क्षेत्र, स्टार्टअप को विकसित किया जाएगा। इस योजना का प्रारूप पशुपालन विभाग की विशेष टीम ने उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर, बीकानगर और मथुरा में निरीक्षण करने के बाद तैयार किया है। यह योजना मंजूरी के लिए केंद्र को भेजी जाएगी।
ब्रायलर मुर्गी पालन कम समय में अधिक से अधिक पैसे कमाने का व्यवसाय है। इसे छोटे किसान भी छोटे गाँव में कर सकते हैं। ब्रायलर पोल्ट्री फार्म के लिए बहुत कम निवेश की आवश्यकता होती है क्योंकि उन्हें छह सप्ताह के भीतर विकसित कर बेचा जा सकता है। ब्रॉयलर मुर्गी पालन योजना के तहत आत्मनिर्भर मुर्गी उत्पादन, किसानों की आय दोगुनी व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार विकसित करना, मुर्गी पालन के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करना और पोषण सुरक्षा का लक्ष्य रखा गया है। पांच सालों में 1000 यूनिट स्थापित की जाएगी, जिसके तहत हर साल 200 यूनिट स्थापित की जाएंगी। इस पर 83.05 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें 30 फीसदी सब्सिडी होगी जोकि 25.92 करोड़ रुपये होगी। जबकि किसानों का शेयर 57.13 करोड़ रुपए खर्च होंगे। अगले पांच सालों में 14.4 मिलियन बर्डस का उत्पादन होगा। हर वर्ष 3 मिलियन बर्डस सरप्लस होंगे। सालाना 18.32 करोड़ किसानों को आया होगी। 10200 के आसपास रोजगार के अवसर पैदा होंगे।