गिरीपार जनजातीय क्षेत्र दर्जा देने से पहले आर.जी.आईव ट्राईबल मंत्रालय क रवाएगा सर्वे ......

गिरीपार जनजातीय क्षेत्र  दर्जा देने से पहले आर.जी.आईव  ट्राईबल मंत्रालय क रवाएगा  सर्वे ......

-दिल्ली में दलित शोषण मुक्ति मंच को मिला आश्चासन  
नाहन, 16 जून :जिला सिमौर के गिरीपार जनजातीय क्षेत्र क ा दर्जा देने से पहले आर.जी.आई.की टीम सर्वे होगा। इसके  उपरांत एक सर्वे ट्राईबल मंत्रालय करवाएगा। रिपोर्ट के आधार पर ही अगली कारवाई होगी। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोई फैसला ही लिया जाएगा। अनुसूचित जाति वर्ग के अधिकार जिससे खत्म होंगे ऐसा कोई फैसला नही लिया जाएगा। दलित शोषण मुक्ति मंच का  एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय समाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामनाथ अठावले व डिप्टी डायरेक्टर ऑफ  जनरल  मनोज कुमार सेनई दिल्ली स्थित कार्यालय मे मुलाकात करने के बाद यह आश्वासन मिला है।  दलित शोषण मुक्ति मंच सिरमौर के संयोजक आशीष कुमार, राजू राम, लायक राम ने वर्ष 2017 की रिपोर्ट ट्राईबल मंत्री को अवगत करवाया कि आरजीआई ने अपनी रिपोर्ट मे यह स्पष्ट कहा है कि हाटी कोई जनजाति नही है तथा इसे संवैधानिक दर्जा नही दिया जा सकता है। गिरी पार क्षेत्र की अनुसूचित जातियां सामाजिक.आर्थिक व शैक्षणिक रूप पिछड़ी है क्योंकि परंपरागत रूप से इन्ही निचली जातियों के साथ छुआछूत के मामले लगातार बढते जा रहे है। आशीष कुमार ने बताया कि सौंपे गए ज्ञापन में 

ट्राईबल मंत्री  को हाटी जनजाति घोषित करने से गिरी पार क्षेत्र मे अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम 1989 के निष्क्रिय होने के खतरे के बारे मे आगाह किया है। ऐसा होने क्षेत्र में उत्पीडन की घटनाएं और अधिक बढ़ जाने की संभावना है। उन्होने वर्ष 2015 से 2022 तक जिला सिरमौर मे एट्रोसिटी एक्ट के मामलों की रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि अब तक जिला सिरमौर मे कुल 122 मामले दर्ज हुए हैंए जिनमे से हत्या व बलात्कार के जघन्य मामलों सहित कुल 106 मामले इसी गिरी पार क्षेत्र के हैं।  

दलित शोषण मुक्ति मंच  ने शंका जाहिर करते हुए इस बात का खतरा जताया कि यदि गिरी पार की तमाम जातियों को हाटी जनजाति घोषित करके एक ही छतरी के नीचे लाया गया तो अनुसूचित जाति एवं ओ.बी.सी. वर्ग को पंचायती राज‌ संस्थाओं मे प्राप्त संवैधानिक आरक्षण समाप्त हो जाएगा। जिसका उदाहरण उन्होने किन्नौर जिला मे 2020 के पंचायती राज चुनावों मे उपायुक्त किन्नौर द्वारा जारी पंचायत रोस्टर को पेश कर दिया। जिसमे जिला किन्नौर की समस्त 73 पंचायतों मे प्रधान पद केवल अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।‌

दलित शोषण मुक्ति मंच ने केन्द्र सरकार से मांग रखी की गिरीपार की 40 प्रतिशत अ.जा. के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की जाए व जल्दबाजी मे जनजातीय क्षेत्र घोषित कर अनुसूचित जाति वर्ग के कत्लेआम का लाइसेन्स न दिया जाए।  केन्द्रीय मंत्री व डिप्टी रजिस्टर जनरल द्वारा  आश्वासन दिया गया कि इस मामले मे कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पूर्व सभी पक्षों का ध्यान रखा जाएगा। आशीष कु मार ने बताया कि आश्वासन मिला है कि जनजातिय क्षेत्र घोषित होने से पहले आरजीआई की टीम सर्वे करेगी और फिर एक सर्वे ट्राईबल मंत्रालय करवाएगा उसके बाद उस पर मामले की गंभीरता को देखते हुए कोई फैसला ही लिया जाएगा। अनुसूचित जाति वर्ग के अधिकार जिससे खत्म होंगे ऐसा कोई फैसला नही लिया जाएगा।