सीटू नेताओं पर हमीरपुर में पुलिस दमन व गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की

सीटू नेताओं पर हमीरपुर में पुलिस दमन व गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की

नाहन 16 जून : सीटू राज्य कमेटी ने आर्मी भर्तीअग्निपथ योजना के ज़रिए चार साल के लिए सेना में अग्निवीर की नियुक्ति आदि मुद्दों पर आंदोलनरत युवाओं व सीटू नेताओं डॉ कश्मीर ठाकुर,जोगिंद्र कुमार व सुरेश राठौर के साथ हमीरपुर पुलिस द्वारा दमन व गिरफ्तारी के कदम की कड़ी निंदा की है।  सीटू ने इस प्रकरण को  राज्य द्वारा प्रायोजित तानाशाही करार दिया है। सीटू राज्य कमेटी ने ऐलान किया है कि इस मुद्दे पर सीटू युवाओं के प्रदेशव्यापी आंदोलन को समर्थन देगा व उनके प्रदर्शनों में बढ़.चढ़कर भाग लेगा। 
सीटू के जिला महासचिव राजेन्द्र ठाकु र ने हमीरपुर में किये गए पुलसिया दमन को तानाशाही करार दिया है। उन्होंने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में शांतिपूर्वक प्रदर्शनों का दमन,उनको तितर.बितर करना व गिरफ्तारियां करना केंद्र व प्रदेश सरकार की तानाशाही मानसिकता को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार सेना भर्ती के मामले पर युवाओं से लगातार छलावा कर रही है। वर्ष 2020 से ही सेना भर्ती बन्द है व इस दौरान लगभग डेढ़ लाख युवा सेना भर्ती से वंचित हुए हैं। देश के लाखों युवा पिछले तीन वर्षों से सेना भर्ती की मांग कर रहे हैं परन्तु देशभक्त व राष्ट्रभक्त होने का नाटक करने वाली केंद्र सरकार ने नियमित सेना भर्ती करने के बजाए भारतीय सेना को भी संविदाकरणएठेकाकरण व फिक्स टर्म रोजग़ार के हवाले कर दिया है। केंद्र सरकार का यह कदम युवा व देश विरोधी है। इस से सेना की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा व उसका मनोबल कमज़ोर होगा। इस कदम से सेना में अपनी सेवाएं देने की आस लगाकर बैठे लाखों युवाओं के नियमित रोजग़ार व सामाजिक सुरक्षा के सपने ध्वस्त हो गए हैं।

अग्निपथ योजना के अंतर्गत भर्ती होने वाले जवानों को सेवानिवृति पर पेंशन व ग्रेच्युटी भी नहीं मिलेगी। चार वर्ष की नौकरी के बाद महज़ 22 वर्ष की उम्र ये युवा जवान बेरोजगार हो जाएंगे व उनका भविष्य अनिश्चितताओं से भरा रहेगा। उन्हें चार साल की नौकरी के बाद केवल ग्यारह लाख का भुगतान करके उनकी सामाजिक सुरक्षा पर सरकार ने प्रश्न चिन्ह लगा दिया है जबकि नियमित रोजग़ार के दौरान सेवानिवृत्ति पर यह राशि इसके मुकाबले कई गुणा ज़्यादा होनी थी। अगर ये जवान अग्निवीर के बजाए नियमित जवान के रूप में भर्ती होते तो सेवानिवृति के समय में न केवल पेंशन व ग्रेच्युटी के हकदार होते अपितु अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में सम्मानजनक वेतन हासिल करते। नवउदारवादी नीतियों के प्रभाव से अब तक लगभग मुक्त रही सेना को भी केंद्र सरकार ने नहीं बख्शा है। यह सरकार जवानों के साथ आर्थिक भ्रष्टाचार भी कर रही है। चार वर्ष के रोजग़ार की आड़ में सेना के नियमित एक लाख रोजगारों को खत्म करने की पटकथा लिखी जा चुकी है। देश के अन्य कर्मचारियों की तजऱ् पर सेना में पेंशन को खत्म करने का ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका है।

देश में श्रम कानूनों को खत्म करके बनाए गए लेबर कोडों के तहत ठेकाकरणएसंविदाकरण व फिक्स टर्म रोजग़ार का सिद्धांत सबसे पहले देश के प्रहरियों पर लागू करने की योजना बन चुकी है। केंद्र सरकार इस से पहले भी भारतीय सेना के निजीकरण व निगमीकरण को अमलीजामा पहुंचाने का कार्य कर चुकी है। उसने पहले आयुद्ध कारखानों का निजीकरण करने की कोशिश की और जब आयुद्ध कारखानों के कर्मचारियों ने सरकार के इस कदम का विरोध किया तो सरकार इसके निगमीकरण की ओर आगे बढ़ गयी। अग्निपथ योजना के ज़रिए अग्निवीर जवानों की भर्ती इसका ही अगला कदम है। यह नियमित रोजग़ार को खत्म करने की साजि़श है तथा देश की सुरक्षा से समझौता है जिसे सीटू कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।