मानसिक स्वास्थ्य पर हो खुली चर्चा: कुलदीप चौहान

मानसिक स्वास्थ्य पर हो खुली चर्चा: कुलदीप चौहान

अक्स न्यूज लाइन सुजानपुर 15 अक्टूबर : 

स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन निवास करता है। जीवन के सुख के लिए  मन का स्वस्थ होना आवश्यक है और स्वस्थ मन के लिए शरीर का स्वस्थ होना आवश्यक है। इस प्रकार मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। हमारी मानसिक स्थिति और भावनाएं हमारे शारीरिक शरीर को भी प्रभावित करती हैं। शरीर के स्वास्थ्य के लिए जिस प्रकार शारीरिक शिक्षा महत्वपूर्ण है ठीक उसी प्रकार  दृढ़मनस्क (मन से दृढ़ होने के लिए) भावनाओं की समुचित अभिव्यक्ति अत्यंत आवश्यक है। उक्त विचार सीडीपीओ सुजानपुर कुलदीप सिंह चौहान ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत "मानसिक स्वास्थ्य एवं किशोर विषय'  पर राजकीय उच्च पाठशाला डुग्गा एवं बनाल में आयोजित जागरूकता शिविर में किशोरों से संवाद करते हुए कहे।

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य वश मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसी अदृश्य समस्या है जिसे शारीरिक लक्षणों की तरह सीधे तौर पर देखा अथवा मापा नहीं जा सकता। इसलिए यह आवश्यक है कि हम मानसिक परेशानियों को दूसरों के साथ साझा करें ताकि उसका समुचित समाधान प्राप्त हो सके। मानसिक स्वास्थ्य पर संवाद का उद्देश्य छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर खुलकर चर्चा करने, उनके प्रति जागरूकता बढ़ाने तथा उनके समाधान के लिए उपलब्ध संसाधनों के बारे में युवा छात्रों को जानकारी देना है। इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित मनोविज्ञानी श्रीमती शीतल वर्मा ने किशोर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि अधिकतर लोग मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को व्यक्तिगत  कमजोरी मानकर उस पर बात नहीं करते जिससे समस्या के और गहरे होने की आशंका बढ़ जाती है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करें और अपनी समस्या को सांझा करें। मानसिक स्वास्थ्य के लिए मनोविज्ञानी या सलाहकार से मिलना वैसे ही सामान्य बात है जैसे शारीरिक बीमारी के लिए डॉक्टर से मिलना। मनोविज्ञानी या सलाहकार आपका आत्मविश्वास बढ़ाकर आपको समस्या से निपटने के लिए प्रेरित करता है। अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए किशोर अपनी परेशानियों को अपने परिवार, अध्यापकों तथा मित्रों से सांझा करें, खेलकूद तथा मनोरंजन में उपयुक्त समय व्यतीत करें और प्रतियोगिता को खेल की भावना से अपनायें। उन्होंने युवा छात्रों को श्वास, योग और ध्यान क्रियाओं के माध्यम से मन और भावनाओं को नियंत्रित करने के गुर भी इस अवसर पर सिखाए।