संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर मनुवादी दृष्टिकोण को मजबूत कर रही है मोदी सरकार

संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर मनुवादी दृष्टिकोण को मजबूत कर रही है मोदी सरकार

अक्स न्यूज   लाइन ..नाहन, 21 अक्तूबर  

दलित शोषण मुक्ति मंच जिला सिरमौर के जिला संयोजक आशीष कुमार, जिला कमेटी सदस्य परवीन सोढा, पूर्व विकास खंड अधिकारी राजेश तोमर  ने जारी एक प्रेस वार्ता मे कहा कि हैदराबाद के राष्ट्रीय दलित सम्मेलन मे 25 राज्यों से आये  100 से ज़्यादा सगठनों ने दलित वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए एक स्कारात्मक चर्चा करते हुए एक 11 सूत्रीय माँग पत्र को अपनाया गया।

ये सर्वविदित है की अनुसूचित जाति के समुदायों के सदस्य सविंधान लागु होने के बाद भी हर तरह के भेदभाव  उत्पीडऩ हिंसा और घौर अन्याय का सामना कर रहे है। नेताओं ने कहर कि भाजपा सरकार के सत्ता मे आने के बाद स्थिति और खराब हो गई है। ये सरकार ऐसे तरीकों से काम कर रहे है जो संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रहे है और शासन मे मनुवादी दृष्टिकोण को मजबूत कर रहे है। उन्होने आरोप लगाया कि परिणामस्वरूप भारतीय नागरिकों के कड़ी मेहनत से हासिल सभी अधिकारों पर हमला हो रहा है और दलित समुदाय अधिक प्रभावित हो रहा है।

आशीष कुमार ने कहा कि इन नीतियों को  के खिलाफ  मांग करते हुए सम्मेलन ने तय् किया की दिसंबर माह में राष्ट्रपति को दलित अधिकारों के रक्षा के लिए 11 सूत्रीय मांग पत्र के साथ1 करोड़ हस्ताक्षर माननीय राष्ट्रपति महोदया को प्रेषित किये जाएंगे। आशीष कुमार ने कहा कि इस कड़ी में हिमाचल प्रदेश मे हस्ताक्षर अभियान किया जायेगा और इस कड़ी मे जिला सिरमौर से 1लाख के करीब हस्ताक्षर भेजे जाएंगे। हिमाचल प्रदेश मे स्थानीय स्तर  पर भी मांगों को उठाया जायेगा।

आशीष कुमार ने कहा की हिमाचल प्रदेश  मे व्यवस्था परिवर्तन  का दावा करके सरकार बनी और सुखविंदर सिंह जब विपक्ष मे थे तो ये दलित शोषण मुक्ति मंच के मांग पत्र के समर्थन मे आये थे। बाद हालात यही है  अनुसूचित जाति आयोग के चैयरमेन का पद पिछले 9 महीनों से खाली है। दलित शोषण  मुक्ति मंच ने साफ , साफ कहा की हिमाचल मे 85 वें संविधान संशोधन को लागु किया जाये।

नीजी क्षेत्र और सरकार के फंड से की जाने वाली हर न्युक्ति मे आरक्षण रोस्टर लागु किया जाए। केंद्रीय बजट की उपयोजनाओ अनुसूचित जाति के लिए आबंटित धनराशि का इस्तेमाल केवल इसी उदेश्य के लिए किया जाना चाहिएए और राज्यों के लिए समान कानून बनाये जाने चाहिएए फंडों  के डायवर्जन या गैर उपयोग को एक आपराधिक करार दिया जाना चाहिए।  

सामान्य जनगणना के साथ साथ जाति जनगणना भी कराई जानी चाहिए। हिमाचल प्रदेश मे शामलात भूमि मे बसे अनुसचित  जाति वर्ग और किसी भी जाति के भूमिहींनो को मालिकाना अधिकार दिया जाए । और 5 एकड़ जमीन हर भूमिहीन को।दी जानी चाहिए एमनरेगा के कार्य दिवस बढ़ा कर 200 दिन और 600 रुपए न्यूनतम दिहाडी  देनी चाहिए। इसके इलावा प्रदेश के सरकारी विभागों मे खाली पड़े बैकलोग के पदों को भरा जाना चाहिए ताकि  लोगों को रोजगार मिल सके।