बिंदल का वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लाए गए श्वेत पत्र पर कांग्रेस पर प्रहार
अक़्स न्यूज लाइन,शिमला --10 फरवरी
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने बयान देते हुए कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक श्वेत पत्र पार्लियामेंट के अंदर लाया। वह श्वेत पत्र यूपीए सरकार अर्थात कांग्रेस 2004 से लेकर 2014 तक की कार्यशाली का एक नमूना है।
उन्होंने कहा कि 2004 में देश की प्रगति ठीक चल रही थी और आर्थिक स्थिति भी ठीक थी, परंतु मनमोहन सिंह और उनकी सरकार सोनिया गांधी की सरकार में जिस प्रकार का मिस मैनेजमेंट हुआ है उसके कारण प्रदेश की आर्थिक स्थिति लगातार गिरती चली गई ।
महंगाई दर बढ़ती चली गई और प्रोडक्टिविटी घटती चली गई।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हम 2014 में ऐसी स्तिथि में आकर खड़े हुए जब हम दुनिया के निम्न स्तर के ऊपर पहुंचे हुए देश के अंदर थे कारण यह था की 15 बड़े-बड़े घोटाले हुए लगभग और 20 लाख करोड रुपए के घोटाले चाहे उसमें 2जी घोटाला हो 3जी घोटाला हो, अगस्त का बेस्ट लैंड घोटाला हो उसके अंदर भूमि घोटाला हो, आदर्श घोटाला हो, ऐसे कोयला घोटाला है ,हेलीकॉप्टर घोटाला है, गेम्स घोटाला है, 15 घोटाले लगभग 20 लाख करोड रुपए से घोटाले जिन से देश की आर्थिक स्थिति खराब हुई और देश की छवि भी लगातार गिरी। 2014 के बाद उस स्थिति को संभालने का काम नरेंद्र भाई मोदी की सरकार ने किया। उन्होंने कहा कि मंहगाई दर की तुलना करें तो कांग्रेस शासन में 2004 से 2014 में महंगाई दर 8.2 पर्सेंट थी और जो लगातार प्रयास के बाद पिछले 10 सालों में महंगाई दर 5% के ऊपर लाकर खड़ी की है । इसी प्रकार जो ओवरऑल जीडीपी थी वह 8% थी । 2 साल कोविड होने के बावजूद जो विकास दर है उसको 8.7 % के ऊपर लाकर खड़ा किया।
उन्होंने कहा कि बजट का पूंजीगत निवेश कांग्रेस शासन में केवल 16 % था अर्थात इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए विकास के लिए जो राशि थी वह केवल 16% थी और मोदी सरकार ने उसको बड़ा करके 28 के ऊपर पहुंचाया।जिसके कारण बड़ी मात्रा में सड़कों का रेलवे का जल संसाधनों का बहुत बड़ा विकास, गरीबों के लिए इस्तेमाल होने वाला जो पैसा है जिससे गरीबी उन्मूलन होती है वेलफेयर की स्कीम है, कांग्रेस शासन में 2004 से 2014 के बीच में जो बजट अलॉट हुआ वह बजट भी इस्तेमाल नहीं हुआ, केवल 6.6% वेलफेयर का बजट इस्तेमाल हुआ।
बिंदल ने कहा की आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने पिछली सरकार द्वारा छोड़ी गई चुनौतियों पर सफलतापूर्वक काबू पाया है। जैसा कि श्वेत पत्र में कहा गया है - अभी मीलों चलना है और लक्ष्य को प्राप्त करने से पहले चुनौतियों के कई पहाड़ों को पार करना है। अमृत काल अभी शुरू हुआ है और हमारी मंजिल 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। इसलिए यह हमारा कर्तव्य काल है।
उन्होंने कहा की बजाय अर्थव्यवस्था की गति को तेज करने और इसके लिए सकारात्मक माहौल बनाने के, कांग्रेस की यूपीए सरकार ने बाधाएं उत्पन्न कीं, जिससे अर्थव्यवस्था अपनी उम्मीद से काफी पीछे रह गई। 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद वित्त वर्ष 2009 और वित्त वर्ष 2014 के बीच छह वर्षों के लिए उच्च राजकोषीय घाटे ने सामान्य और गरीब परिवारों पर दुखों का अंबार लगा दिया। 2009 से 2014 के बीच महंगाई चरम पर रही और इसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ा।
यूपीए सरकार में, विदेशी मुद्रा भंडार जुलाई 2011 में लगभग 294 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर अगस्त 2013 में लगभग 256 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई थी।
आज हमारा विदेशी मुद्रा भंडार लगातार 600 अरब डॉलर से अधिक बना हुआ है।
यूपीए सरकार के तहत निराशाजनक निवेश माहौल के कारण घरेलू निवेशक विदेश जाने लगे। यूपीए सरकार में बार-बार नेतृत्व का संकट पैदा होता रहा। सरकार द्वारा जारी एक अध्यादेश को सार्वजनिक रूप से फाड़ने की शर्मनाक घटना सामने आई। यह तो स्पष्ट है कि मनमोहन सिंह सरकार के दस साल का कार्यकाल आर्थिक कुप्रबंधन, वित्तीय अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार का कालखंड था। तब हमने खराब स्थिति पर श्वेत पत्र लाने से परहेज किया। अगर तब ऐसा किया होता तो निवेशकों समेत कई लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता और इससे आर्थिक व्यवस्था पर असर पड़ता।