केंद्रीय सहायता राशि से प्रदेश सरकार ने आंकड़ों का खेल रचकर इस राहत पैकेज का निर्माण किया : राजीव
अक्स न्यूज लाइन .. शिमला, 21 अक्तूबर
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री राजीव सहजल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा दिया गया राहत पैकेज केवल मात्र आंकड़ों का मायाजाल है और यह राहत पैकेज केंद्र सरकार की मदद के बगैर बनना असंभव था।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से केंद्र सरकार ने हिमाचल सरकार को इस आपदा की घड़ी में सहायता प्रदान की हैं। उसी कीे सहायता से प्रदेश सरकार ने आंकड़ों का खेल रचकर इस राहत पैकेज का निर्माण किया जो प्रदेश की जनता की आंखों में धूल झोंकने के बराबर है।
उन्होंने कहा इस पैकेज में 2000 करोड़ से अधिक की सहायता राशि केंद्र सरकार द्वारा दी गई राशि है, जिसमे 1000 करोड़ मनरेगा का ,100 करोड़ आवास योजना का, 403 करोड़ 53 लाख राष्ट्रीय आपदा रिस्पॉन्स फंड का, राज्य आपदा रिस्पांस फंड के अंतर्गत 360 करोड़ 80 लाख, राज्य आपदा मिटिगेशन फंड के अंतर्गत 85 करोड़ 60 लाख की राशि केंद्र सरकार द्वारा सीधी हिमाचल प्रदेश को प्रदान की गई है।
इसके अलावा 2700 करोड़ के लगभग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से हिमाचल प्रदेश की सड़कों और पुलों के निर्माण के लिए केंद्र द्वारा भेजे गए। यहां तक की हिमाचल प्रदेश में विधायक निधि को रोक कर उसे भी इसी राहत पैकेज का एक हिस्सा बनाया गया। 225 करोड़ की राशि आम जनता ने मुख्यमंत्री राहत कोष में दी
इसको भी इस राहत पैकेज में सीधा-सीधा डाला गया।
उन्होंने कहा कि नेशनल हाईवे फोरलेन और पुलों का निर्माण भी अनेकों जगह केंद्र सरकार द्वारा कराया जा रहा है केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कुल्लू दौरे के दौरान 400 करोड रुपए हिमाचल को आपदा की दृष्टि से दिए और उसके बाद जितने भी यह सड़के ठीक हो रही है उसका खर्चा भी केंद्र सरकार ही वहन कर रही है।
उन्होंने कहा कि राहत पैकेज को लेकर प्रदेश की सरकार केवल मात्र जनता को गुमराह कर रही है झूठ बोल रही है और लगातार एक के बाद एक झूठ और झूठ बोलकर अपने झूठ को सत्य बनाने का प्रयास कर रही है।
डा राजीव सहजल ने कहा कि प्रदेश आपदा की मार से जूझता जिसमे भारतीय जनता पार्टी ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है जिसने चुने गए भाजपा के प्रतिनिधियों ने प्रशासन के साथ मिलकर काम किया और लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने का काम किया।
लेकिन अफ़सोस इस बात का है कि जो सुखु सरकार एकजुट होंने का पाठ पढ़ाते रहे लेकिन बदले में भाजपा को कोसते नजर आये। मुख्यमंत्री से लेकर निचले स्तर तक के नेता केंद्र सरकार को कोसते रहे। उन्होनेें कहा कि अपनी बात रखने के लिए प्रदेश सरकार ने आत्मसंयम नहीं बरता और अनर्गल बयानबाजी करते रहे।
केंद्र सरकार से आपदा प्रभावितों के लिए राहत पैकेज मांगने का तरीका प्रदेश सरकार के जहन में नहीं आया। यदि हिमाचल के लिए आपदा राहत कोष के लिए प्रारूप भी तैयार होता तो केंद्र में पैरवी की जा सकती थी।