स्वाद व औषधीय गुणों से..... भरपूर जंगली फल काफल...
अक्स न्यूज लाइन ..नाहन 19 मई - 2023
बेमौसमी बारिशों होने के कारण इस बार राजगढ़ क्षेत्र में जंगली फल काफल करीब 15 दिन देरी से पकने शुरू हो गए है । एक विशेष प्रकार पक्षी घर के बाहर पेड़ पर बैठकर कहता है कि काफल पाके, हामे ने चाखे तुमखे राखे । लोगों का कहना है कि यह पक्षी काफल पकने का संदेश लाता है । बता दें कि ग्र्रामीण परिवेश के लोग व बच्चे दोपहर को आराम करने की बजाए जंगलों में काफल फल को चुनने के लिए व्यस्त हैं । जनश्रुति के अनंुसार भगवान राम भी अपने बनवास के दौरान भूख मिटाने के लिए काफल व अन्य जंगली फलों का इस्तेमाल किया करते थे ।
बता दें कि राजगढ़ तथा सीमा पर लगते शिमला जिला केे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन दिनों काफल फल पक कर तैयार हो गया है । विशेषकर हाब्बन, पालू, फागू, चंबीधार, ठंडीधार, इत्यादि गांव के लोग जंगलों में काफल को चुनने में व्यस्त हैं। काफल के पेड़ काफी ऊंचे होते है । परंतु लोग अपनी जान को जोखिम मे डालकर काफल का एक एक दाना बड़े चाव से चुनकर बेग में भर कर घर लाते हैं। अनेक गांव में काफल लोगों की आजीविका का भी साधन बन चुका है और मार्किट में काफल को लोग बड़े चाव के साथ खरीदते हैं ।
वरिष्ठ नागरिक एवं साहित्यकार शेरजंग चैहान और सूरत सिंह ठाकुर का कहना है कि काफल एक जंगली फल है जोकि सभी औषधीय गुणों से भरपूर है । यह फल हिमाचल प्रदेश सहित हिमालय के अन्य क्षेत्रों में जंगली तौर पर पाए जाने वाला एक सदाबहार पेड़ है जोकि कई औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण शरीर की प्रतिशोधक क्षमता को बढ़ाने में बहुत सहायक होता है । इनका कहना है कि काफल के पेड़ 1000 से 2000 मीटर की ऊंचाई में पाए जाते है । । यह फल रस से भरपूर होता है तथा इसका स्वाद खटटा-मिठा होता है । शेरजंग चैहान का कहना है कि इन दिनों गांव में जंगली शुद्ध सब्जियों की बहार आई है जिनमें कचनार, काथी की कोपलें, रामबाण के गोव्वा, फेगड़े, खड़की के कोमल पत्ते, खडडों में उगने वाली छूछ इत्यादि जंगली सब्जियां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है । इनका कहना है कि बाजार से मिलने वाली सब्जियां के संक्रमित होने की संभावना होती है । ग्रामीण जंगली फल व सब्जियों को ज्यादा पसंद करते हैं जोकि बिना खाद इत्यादि से तैयार होती है और मनुष्य के लिए औषधी का कार्य करती है । इनका कहना है कि युवा पीढ़ी को जंगली सब्जियां ज्यादा पसंद नहीं करते हैं परंतु इनके उपयोग से अनेक रोगों से बचाव होता है।
आयुर्वेद विशेषज्ञ डा0 अनु शर्मा के अनुसार काफल में विटामिन्स, आयरन व एंटी आक्सीडेंटस प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं । इसके अतिरिक्त काफल में कई प्रकार के प्राकृतिक तत्व जैसे माईरिकेटिन और ग्लाकोसाइडस भी विद्यमान है । उन्होने कहा कि काफल में प्रचुर मात्रा में आयरन होती है जोकि विशेषकर महिलाओं संबधी विभिन्न रोगों के उपचार में काफी कारगर सिद्ध होते हैं।
नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक , क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तर भारत स्थित जोगिन्द्र नगर के विशेषज्ञ का कहना है कि काफल जंगल में पाए जाने वाला एक विशेष मौसमी फल है । औषधीय गुणों से भरपूर यह फल शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है । इस फल के सेवन से जहां कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है।