भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज भव्य शुभारंभ
विशिष्ट अतिथियों के रूप में संस्थान के फेलो प्रो. एस. राघव ने भी विचार व्यक्त किए। प्रो. राघवन ने स्वतंत्रता संग्राम में पंजाब की क्रांतिकारी चेतना के दार्शनिक और आध्यात्मिक आयामों पर प्रकाश डाला, वहीं डॉ. नितिन व्यास ने ऐसे विमर्शों को ऐतिहासिक न्याय के साथ-साथ सांस्कृतिक पुनर्निर्माण की आवश्यकता बताया। श्री गौरव अत्री ने युवाओं को गुमनाम नायकों की गाथा से प्रेरणा लेने का आह्वान किया और कहा कि यह पीढ़ी अपने इतिहास को जानकर राष्ट्रनिर्माण की दिशा में अग्रसर हो सकती है। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। स्वागत भाषण डॉ. राजीव कुमार मिश्र, पुस्तकालयाध्यक्ष एवं प्रभारी (शैक्षणिक संसाधन), आईआईएएस शिमला ने दिया। संगोष्ठी की थीम का परिचय संयोजिका डॉ. प्रियंका वैद्य, पूर्व फ़ेलो, आईआईएएस तथा एसोसिएट प्रोफेसर, अंग्रेज़ी विभाग (सी.डी.ओ.ई), हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला ने प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी के सह-संयोजक डॉ. नीरज कुमार सिंह, उप-पुस्तकालयाध्यक्ष, ए.सी. जोशी पुस्तकालय, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ ने दिया। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. अखिलेश पाठक ने किया।
यह संगोष्ठी ‘शोध (Students for Holistic Development of Humanity)’ थिंक टैंक के अकादमिक सहयोग से आयोजित की गई है, जिसका उद्देश्य पंजाब के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले गुमनाम सेनानियों की बहुआयामी भूमिका को रेखांकित करना है। संगोष्ठी के आगामी सत्रों में देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों एवं प्राध्यापकों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।



