नाहन, 4 फरवरी (अक्स न्यूज लाइन):-
कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर धौलाकुआं द्वारा प्राकृतिक खेती प्रोत्साहन एवं किसान जागरूकता अभियान के अंतर्गत गाँव पराडा में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। जिसमें किसान.वैज्ञानिक संवाद के अंतर्गत कृषि रसायनों एवं अन्य कृत्रिम उत्पादों के प्रकृति एवं मनुष्य स्वास्थ्य पर पडऩे वाले हानिकारक दुष्प्रभावों के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष डा. पंकज मित्तल ने बताया की कृषि विज्ञान केंद्र प्राकृतिक खेती एवं पोषक अनाज श्री.अन्न की खेती को प्रोत्साहित करने हेतू निरंतर कार्यशील है ताकि कृषि लागत को कम करने के साथ.साथ रसायन मुक्त एवं गुणवत्ता युक्त उत्पाद उपभोक्ताओं को उपलब्ध हो सके और ऐसा करने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना नितांत आवश्यक है।
क्योंकि इससे मिट्टी में लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुओं, केंचुओं की संख्या तथा जीवांश पदार्थ की मात्रा में वृद्धि और मिट्टी के पी.एच. मान में सुधार के साथ पोषक तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि होती है। प्राकृतिक खेती पूर्णतया देशी गाय पर आधारित खेती है। गाय का गोबर और गोमूत्र का उपयोग ही मुख्यत: प्रयोग होने वाली सामग्री को तैयार करने के लिए किया जाता है।
प्रशिक्षण शिविर के आयोजन के अवसर पर कृषि वैज्ञानिक डा. सौरव शर्मा ने आह्वाहन किया की अगर किसान प्राकृतिक खेती को सफलता पूर्वक अपनाए तो उनको किसी भी तरह की रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं होगी और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के साथ.साथ कृषि लागत को भी कम करने में मदद मिलेगी।
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज श्री.अन्न वर्ष घोषित किया गया है और प्राकृतिक कृषि पद्धति से पोषक अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए इस बीजामृतए घन जीवामृत, जीवामृत तथा नीम अस्त्र को तैयार करने एवं उनको प्रयोग करने के विषय में प्रयोगात्मक प्रशिक्षण भी दिया गया। डॉ भीम पारीक, मौसम विज्ञान विशेषज्ञ ने किसानों को मौसम पूर्वानुमान अनुसार कृषि कार्यों को व्यवस्थित करने संबंधित जानकारी दी।