प्रदेश में 49,160 लंबित राजस्व मामलों का निपटारा, 467.71 करोड़ रुपये की वसूली

योजना का उद्देश्य लंबित मुकद्मों में कमी लाना और ऐसे मामलों से राजस्व अर्जित करना है जो वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से पुराने कानूनों के अन्तर्गत लंबित हैं। इस चरण में पैट्रोलियम उत्पादों से जुड़े मामले (वर्ष 2020-21 तक) भी शामिल होंगे। इससे गैर जीएसटी कर कानूनों के अन्तर्गत लंबित मामलों को निपटाने में मदद मिलेगी। आबकारी एवं कराधान विभाग ने सभी बकायादारों से इस अवसर का लाभ उठाने और राजस्व को सुदृढ़ करने का आह्वान किया है।
प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस समय प्रदेश में लगभग 30 हजार मामले लंबित हैं। इस योजना के दूसरे चरण में राज्य को करीब 10 करोड़ रुपये की आय की आय होने की उम्मीद है। इससे पहले भी इस तरह की चार योजनाएं चलाई गई थीं जिनके उत्साहजनक परिणाम रहे। वर्ष 2020 में हिमाचल प्रदेश (विरासत मामले निपटान) योजना नियमों के तहत 14,814 मामले निपटाए गए और 393.21 करोड़ रुपये की वसूली हुई। इसके उपरांत वर्ष 2021 में हिमाचल प्रदेश स्वर्ण जयंती (विरासत मामले निपटान) योजना के अन्तर्गत 20,642 मामले निपटाए गए और 19.16 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। इसके अलावा, सद्भावना विरासत मामले निपटान योजना-2025 के अन्तर्गत 12,813 मामले निपटाए गए और 40.31 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ जबकि एक अन्य चरण में 898 मामलों का निपटारा किया गया और 15.03 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई।
इस प्रकार, अब तक कुल 49,160 से अधिक मामले निपटाए जा चुके हैं जिससे प्रदेश सरकार को 467.71 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है।