मांडव्य कलामंच द्वारा आयोजित पांच दिवसीय सांस्कृतिक संवाद एवं प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न..... लोकनाट्य बांठड़ा,लोकनृत्य लुड्डी, नागरिय नृत्य तथा मंडयाली गिद्दा व संस्कार गीतों का प्रशिक्षण.....

मांडव्य कलामंच द्वारा आयोजित पांच दिवसीय सांस्कृतिक संवाद एवं प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न..... लोकनाट्य बांठड़ा,लोकनृत्य लुड्डी, नागरिय नृत्य तथा मंडयाली गिद्दा व संस्कार गीतों का प्रशिक्षण.....

 अक्स न्यूज लाइन -- मंडी , 24  जुलाई - 2023
प्रदेश की ख्यातिप्राप्त सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था मांडव्यकला मंच की ओर से भाषा एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से पांच दिवसीय आवासीय सांस्कृतिक संवाद एवं प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें जिला भर से 85 के लगभग नवोदित युवा कलाकारों ने भाग लिया। 19 से 23 जुलाई तक संस्कृति सदन कांगणीधार के मोतीपुर में आयोजित इस कार्यशाला के समापन्न अवसर पर हिमाचल गौरव एवं हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी के संस्थापक मशहूर छायाकार बीरबल शर्मा ने बतौर मुख्यअतिथि शिरकत की। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला भाषा अधिकारी प्रोमिला गुलेरिया ने की। वहीं पर कथाकार उपन्यासकार एवं संस्कृति कर्मी मुरारी शर्मा विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे। कार्यशाला के संयोजक मांडव्य कलामंच के संस्थापक अध्यक्ष कुलदीप गुलेरिया ने बताया कि लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में विगत पैंतिस सालों से कार्यरत मांडव्यकला मंच समय-समय पर इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन कर मंडयाली संस्कृति को नई पीढ़ी में हस्तांतरित करने की दिशा में प्रयासरत है। उसी कड़ी में इस पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिसमें नवोदित एवं युवा कलाकारों को विभिन्न सत्रों में विशेषज्ञों की ओर से लोक नाट्य बांठड़ा, लोकनृत्य लुड्डी, नागरिय नृत्य,मंडयाली गिददा व संस्कार गीतों का प्रशिक्षण और उनके विषय में विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि  अपनी लोकसंस्कृति को जीवित रखने के लिए के लिए युवाओं को जागरूक किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यअतिथि बीरबल शर्मा ने कहा कि मांडव्य कलामंच की स्थापना से लेकर आज तक वे भी किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं। हिमाचल के लोकसंस्कृति मर्मज्ञ और पूर्व जिला भाषा अधिकारी रहे डा. विद्याचंद ठाकुर का मांडव्य कला मंच और उनके मार्ग दर्शन में विशेष योगदान रहा है। इस तरह की कार्यशालाओं के माध्यम से नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति के प्रति प्रेरित करना बहुत ही अच्छी पहल है। जो कई वर्षों से मांडव्य कला मंच करता आ रहा है। वहीं पर जिला भाषा अधिकारी प्रोमिला गुलेरिया ने कहा कि कार्यशाला में प्रशिक्षित कलाकार अपने आसपास के स्कूलों में जाकर ऐसी कार्यशालाओं के माध्यम से स्कूली बच्चों को मंडयाली लोकनृत्यों व लोकनाटयों का प्रशिक्षण देंगे। विशिष्ट अतिथि मुरारी शर्मा ने कहा कि लोकसंस्कृति समाज की समग्र अभिव्यक्ति है। जिसमें लोक नृत्यों, लोकनाटकों, लोकगीतो के अलावा जीवन की समग्र झलक देखने को मिलती है। मांडव्यकला मंच की इस कार्यशाला में प्रशिक्षित ये कलाकार अपने-अपने क्षेत्र में संस्कृति दूत का कार्य करते हुए लोगों को लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धान की ओर प्रेरित करेंगे तभी इस तरह के आयोजनों की सार्थकता मानी जाएगी।  इस कार्यशाला में नागरिय नृत्य के लिए स्रोत व्यक्ति के रूप में ललिता वांगिया ने अहम भूमिका निभाई। जबकि सहयोगी के रूप में राजेश पवन ने अपने कार्य को अंजाम दिया। वहीं पर लोकनृत्य लुड्डी, व लोकनाट्य बांठड़ा का प्रशिक्षण व जानकारी कुलदीप गुलेरिया ने दी। जबकि उनके सहयोगी के रूप में जितेश, हरिचरण व काजल रहे। इसके अलावा प्रतिदिन दो बौद्धिक सत्र आयोजित किए गए। जिसमें लोक संस्कृति की विभिन्न विधाओं की जानकारी व चर्चा विशेषज्ञों द्वारा की गई। जिसमें डा. राकेश कपूर, मंजू सेन, पुष्पलता, दक्षा उपाध्याय, कृष्णा ठाकुर, रविंद्र शर्मा, पंकज ठाकुर, श्रेया, मुनीष, आंचल, दिनेश गुप्ता शामिल रहे। जबकि वाद्यवृंद के रूप में बीरी सिंह, भीष्म, दिनेश, रमेश और चेतन ने अपनी भूमिका निभाई। कार्यशाला के दौश्रान इंटेक मंडी चेप्टर के संयोजक, नरेश मल्होत्रा, सह संयोजक अनिल शर्मा, केके शर्मा ने भी अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम में मंच संचालन भारती बहल ने किया वहीं पर संवाद कलामंच के अध्यक्ष गौरव शर्मा और मांडव्य कला मंच के प्रधान मयंक गुलेरिया ने सभी का आभार व्यक्त किया।