गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा...... राज्य सभा मे हाटी बिल पास हुआ......

गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा...... राज्य सभा मे हाटी बिल पास हुआ......

अक्स न्यूज   लाइन ..नाहन  26 जुलाई - 2023
हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा राज्य सभा मे हाटी बिल पास हुआ।इसके बाद से गिरिपार के लोगों में ख़ुशी की लहर है। यह मांग दो लाख लोगों से जुड़ी थी। जिसका इंतजार समुदाय के लोग पिछले पांच दशक से कर रहे थे ।  
हिमाचल में जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की करीब 155 पंचायतों को आजादी के 7 दशक बाद उनका हक मिल ही गया। आज देश की संसद ने गिरी पार क्षेत्र के हाटी इलाके को जनजातीय करने वाले विधेयक को ध्वनि मत से पास कर दिया। 
गिरिपार को जनजाति क्षेत्र घोषित करवाने में शिलाई के पूर्व विधायक बलदेव तोमर का योगदान है। हालांकि इस मुद्दे को सिरे चढ़ाने में कामयाब हो गए, लेकिन चुनाव हार गए
शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में शुक्रवार को केंद्रीय जनजाति मंत्री अर्जुन मुंडा ने हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने का विधेयक संसद में रखा, जिसे देश की संसद ने ध्वनि मत से पारित कर दिया।
गौर हो कि 14 सितंबर 2022 को केंद्रीय कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी थी, लेकिन जब तक संसद से मंजूरी ना मिलने पर विधेयक लागू नहीं हो सकता। आज देश की संसद ने हाटी विधेयक को मंजूरी दे दी है जिससे जिला सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र की 155 पंचायत के लोगों को लाभ मिलेगा।
गौरतलब वर्ष 1967 में हिमाचल के साथ लगता उत्तरांचल के बाबर जौनसार इलाके को जनजाति का दर्जा दिया गया है। तब से लेकर आज तक गिरिपार क्षेत्र की जनता अपने भले ही हाटी मुद्दे का भारतीय जनता पार्टी को कोई चुनावी लाभ नहीं मिला है , लेकिन भाजपा ने इसे मंजूरी देकर जनता को तोहफा दिया है।
देश की संसद में शीत कालीन सत्र में केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने इसे संसद के समक्ष रखा जिसे देश की संसद ने ध्वनि मत से पारित कर जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के हाटी कबीले की मांग को पूरा कर दिया है।
गौरतलब है कि संसद से मंजूरी मिलने के बाद बिल अब राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए जाएगा और राष्ट्रपति से विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद जिला सिरमौर 3 लाख आबादी को इसका लाभ मिलना आरंभ होगा। भले ही अभी यह लाभ केवल मात्र 1.60 लाख को मिलना है, क्योंकि अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले समुदाय को एसटी से बाहर रखा गया है।