बनकला- रखनी लिंक रोड़: कभी ब्लॉक की सड़क थी फिर हो गई लोक निर्माण विभाग की...अब जिम्मेवारी लेने को तैयार नही. ख़ास ख़बर....

बनकला- रखनी लिंक रोड़: कभी ब्लॉक की सड़क थी फिर हो गई लोक निर्माण विभाग की...अब जिम्मेवारी लेने को तैयार नही.  ख़ास ख़बर....

अक्स न्यूज लाइन नाहन 14 जुलाई  : अरुण साथी

नेशनल हाइवे देहरादून-चंडीगढ़ को जोड़ने वाली बनकला-रखनी लिंक रोड़ पिछले कुछ अर्से से नीजि भू मालिकों द्वारा बन्द कर दिये जाने के बाद चर्चा में है। प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार इस सड़क का प्रयोग ग्रामीण करीब 50 साल से कर रहे हैं। इस लिंक रोड के निर्माण होने के पुराने रिकार्ड पर नज़र डालें तो सच यह है कि सड़क के निर्माण की शुरूआत सालों पहले ब्लॉक कार्यालय ने थी।

पैदल चलने का कच्चा रास्ता धीरे धीरे पक्की पटड़ी बन गया सियासी आधार पर किस्तों में बजट मिलता गया और पटड़ी सड़क बनती गई। मजेदार बात यह है यह सड़क ब्लॉक ऑफिस से निकल कर कब लोक निर्माण विभाग के खाते में चली गई इसका कोई पुख्ता रिकॉर्ड समाने नही है।

 ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें विकास की लाइफ लाइन मानी जाती है। गांव में सभी चाहते है कि सड़क उनके घरों तक पहुंचे, खेत खलिहान तक आ जाये इसका ज्यादातर विरोध भी नही होता एक दुसरे के खेतों से होकर पैदल रास्ता सड़क बनकर आगे बढ़ता है।
 बनकला- रखनी सड़क के निर्माण को लेकर भी ऐसा ही हुआ। 4 गांवों के 500 लोगों की लाइफ लाइन इस सड़क का निर्माण भी नीजि भूमि में हुआ है। इसके बावजूद ऐसे बहुत से मामले ऐसे हुए हैं जहां सड़क के लिए जमीन देने के लिये गांवों में भू मालिक अड़ गये और निर्माण कार्य सालों अटक गया। क्योंकि लोग सडक अपने घर तक तो चाहते हैं लेकिन आगे जाने के लिए आपनी जमीन नहीं देते।

सड़क पर वतर्मान स्तिथि के लिए लोक निर्माण विभाग अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता जो अब विकट परिस्थितियों में हाथ खड़े किए हुए हैं।  क्योंकि सड़क के निर्माण नीजि भूमि अधिग्रहण किए बिना हुआ है। अब लाखों रुपए का बजट इस सड़क के निर्माण पर ख़र्च कर दिया गया है। चार फुट चौड़े रास्ते को मोटरेबल बना दिया गया। सड़क पर कई जगह लोक निर्माण ने डंगे लगाये..सड़क पर कुछ पुलियों का निर्माण भी किया है।

अब सवाल यह भी उठता है कि सरकार के आदेशों अनुसार विभाग ने निर्माण से पहले भूमि अधिग्रहण क्यो नही किया।  बनकला- रखनी सड़क का करीब 6 किलो मीटर हिस्सा ज्यादातर निजी भूमि में है। विभाग यह भी जानता है कि अगर सड़क की भूमि अधिग्रहण करनी पड़ी तो सरकार को करोड़ों रुपए का मुआवजा भू मालिकों को चुकाना पड़ सकता है।
इधर लोक निर्माण विभाग के अनुसार प्रभावित लोगों के लिए क्रेशर के नजदीक से वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध कराया गया है। जिस पर यातायात चल रहा है।

लोक निर्माण विभाग नाहन डिवीजन के एक्सीयन आलोक जनवेजा ने बताया कि पूर्व में सड़क के मामले में  फ़ैसला विभाग के पक्ष में नही था  ऐसे लॉ विभाग का ओपिनियन के अनुसार यह केस अगली अदालत में ले जाने के लिए फिट नहीं है।उन्होंने बताया कि मामले में हाईकोर्ट के जो आदेश होंगे कारवाई की जायेगी।