मुख्यमंत्री ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को अपनाने का किया आह्वान

उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी प्राचीन काल में थीं। हिंसा, असहिष्णुता और अविश्वास से भरे इस युग में भगवान बुद्ध द्वारा दिया गया शांति, करुणा और सहिष्णुता का संदेश मार्ग दिखाता है। ये महज शिक्षाएं नहीं बल्कि जीवन जीने की एक कला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान और ‘महापरिनिर्वाण’ इसी दिन हुआ था। एक ही दिन में ये तीन महान घटनाएं इस दिन को बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण बनाती हैं। भगवान बुद्ध का जीवन हमें यह सिखाता है कि करुणा, शांति और मानवता ही सच्चे धर्म के मूल स्तम्भ हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में, जहां भौतिक सुख-सुविधाएं तनाव और असंतुलन का कारण बनती है, ऐसे में भगवान बुद्ध का संदेश हमें शांति, सद्भाव और सच्चे सुख का मार्ग दिखाता है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर विद्यालय से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया। उन्होंने कहा कि ‘मैंने शिमला नगर निगम में 10 वर्षों तक पार्षद के रूप में कार्य किया है। मेरे कई मित्रों ने इसी स्कूल से शिक्षा ग्रहण की है और सर्दियों की छुट्टियों में हम यहीं क्रिकेट खेला करते थे’। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने त्सेरिंग पलकत नेगी और पेमा दोरजे को भारत-तिब्बत मैत्री अवार्ड से सम्मानित किया। कार्यक्रम में तिब्बत, किन्नौर और लाहौल-स्पिति की समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराओं पर आधारित रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।
विधायक हरीश जनारथा, महापौर सुरेंद्र चौहान, उप-महापौर उमा कौशल, तिब्बती निर्वासित सरकार के प्रमुख प्रतिनिधि लहाक्पा त्सेरिंग, उपायुक्त अनुपम कश्यप और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।