बजट से प्रदेश के किसान-बागवान मायूस, बजट में नहीं दिखी व्यवस्था परिवर्तन की खास झलक : डाॅ0 तंवर

बजट से प्रदेश के किसान-बागवान मायूस, बजट में नहीं दिखी व्यवस्था परिवर्तन की खास झलक : डाॅ0 तंवर

अक्स न्यूज लाइन शिमला 21 फरवरी :

 मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए पेश किये गए बजट में व्यवस्था परिवर्तन की कोई  झलक नजर नहीं आई। किसानसभा के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ0 कुलदीप तंवर ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि किसान व बागवानों को बजट में  बहुत उम्मीदें थी।  बजट में  किसानों-बागवानों के उत्पाद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, उत्पादों के लिए प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने और विभिन्न ढांचागत परियोजनाओं के लिए किसानों से ली जा रही कृषि भूमि का उचित मुआवजा देने के बारे कोई प्रावधान नहीं किया गया  है।

डॉ. कुलदीप सिंह तँवर ने कहा कि प्रदेश की कुल आबादी का 63 फीसदी हिस्सा किसानी-बागवानी और पशुपालन से अपनी आजीविका कमा रहा है लेकिन व्यवस्था परिवर्तन की सरकार के बजट में इस आबादी के भविष्य को लेकर संवेदनशीलता की कमी नजर आई। वहीं बजट में सेब के लिए ए ग्रेड, बी ग्रेड और सी ग्रेड के लिए क्रमशः 60, 48 और 24 रुपये के हिसाब से समर्थन मूल्य देने की बागवानों की मांग को भी नजरअंदाज किया गया है। सब्जी, फूल और मसालों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी बजट मौन है।    

उन्होने बताया कि दूध का सरकारी खरीद मूल्य बढ़ाया जरूर गया है लेकिन यह चुनाव से पहले दी गई गारंटी के अनुरूप नहीं है। वहीं पशुपालकों की लम्बे समय से चली आ रही मांग फीड और फॉडर में सब्सीडी देने और फॉडर बैंक बनाने के लिए भी बजट में कोई प्रावधान नहीं रखा गया है।

प्रदेश में किसानों की फसलों को नुकसान करने वाले लावारिस पशुओं के लिए बजट में प्रावधान है लेकिन इसके स्थाई समाधान के लिए बजट में इजाफा करना जरूरी है। डॉ. तँवर ने कहा कि उम्मीद है सरकार इन मुद्दों पर संज्ञान लेते हुए बजट का उचित प्रावधान करेगी और वार्षिक योजना में इसके लिए ठोस कदम उठाएगी।