प्राकृतिक खेती के लिए मिल सकता है 33 हजार रुपये का अनुदान
इस अवसर पर आतमा परियोजना की सहायक तकनीकी प्रबंधक नेहा भारद्वाज, अन्य अधिकारियों तथा प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों ने स्थानीय किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की।
नेहा भारद्वाज ने बताया कि प्राकृतिक खेती में रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है। प्राकृतिक खेती से तैयार होने वाली फसलें स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होती हैं और इससे खेती की लागत भी कम होती है। इस खेती को अपनाकर किसान अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं तथा पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे सकते हैं।
सहायक तकनीकी प्रबंधक ने बताया कि प्राकृतिक खेती के मुख्य घटक जैसे-जीवामृत, बीजामृत, धनजीवामृत और देसी कीटनाशक इत्यादि देसी गाय के गोबर तथा गोमूत्र से घर में ही तैयार किए जा सकते हैं। उन्हांेने बताया कि प्राकृतिक खेती शुरू करने के इच्छुक किसानों को देसी गाय की खरीद के लिए 25 हजार रुपये अनुदान दिया जाता है। गौशाला का फर्श पक्का करने के लिए भी आठ हजार रुपये सब्सिडी दी जाती है। किसानों को इस योजना का लाभ उठाना चाहिए।
उन्होंने देसी नस्ल की गाय जैसे-साहीवाल, रेड सिंधी, राठी, थार और पारकर के बारे में भी जानकारी दी तथा राजीव गांधी स्टार्ट अप योजना के बारे में भी बताया। शिविर में किसानों को मटर का बीज भी वितरित किया गया।
इस अवसर पर खंड कृषक सलाहकार समिति के सदस्य रमेश चंद जरियाल, रमेश पराशर, उपप्रधान राजेश कुमार और अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।