अक्स न्यूज लाइन शिमला 24 सितंबर :
एसएफआई शिमला जिला कमेटी द्वारा संजौली कॉलेज में छात्रों के निष्कासन को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। महाविद्यालय में 20 तारीख़ को 6 छात्रों को इसलिए निष्कासित किया जाता है क्योंकि वे कैंपस में एक छात्रा से हुई छेड़ छाड़ के मुद्दे को प्रशासन के सामने रख रहे थे लेकिन प्रशासन के द्वारा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को रोकने का निर्णय लिया जाता है जो कि छात्रों के अभिव्यक्ति और सभा की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है।
प्रदर्शन के दौरान एसएफआई शिमला ज़िला सचिव कमल शर्मा ने कहा की प्रशासन कैंपस के माहौल को शांत करवाने की वजह और तनावपूर्ण बना रहा कक्षाओं में जाकर छात्रों को टारगेट किया जा रहा उन पर मानसिक दबाव बनाया जा रहा है कहा जा रहा है की अगर कहीं किसी भी प्रदर्शन में शामिल हुए तो आपको भी कॉलेज से निकाल दिया जाएगा बात कक्षाओं तक सीमित नहीं रही 7 लडकियो को कुछ प्रोफेसरों द्वारा जबरन लिखित तौर पर उन से प्रदर्शन में शामिल न होने को दस्तखत करवाए जो की बहुत शर्मनाक है
एसएफआई पिछले लंबे समय से महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामलों को गंभीरता से उठा रहे है। एसएफआई लैंगिक संवेदीकरण समिति में लड़कियों को शामिल करके इसे लोकतांत्रिक बनाने की सही मांग उठा रहा है। क्या गलत है, क्यों महिला प्राचार्य समझने में विफल हैं? क्या एसएफआई नेताओं का निष्कासन या निलंबन समाधान है? एसएफआई अलोकतांत्रिक कार्यप्रणाली के खिलाफ आंदोलन को मजबूत करेगा, यदि 6 छात्रों का निष्कासन वापस नहीं लिया जाता है , परिसर में अनुमति नहीं दी जाती है तो हम इन प्राचार्यों के आवासीय क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन करेंगे। छात्र नेताओं के निष्कासन का निर्णय तत्काल वापस लिया जाए। प्राचार्य द्वारा छात्र नेताओं का पीड़ित करने का कार्य, जो लैंगिक संवेदीकरण समिति के लोकतांत्रिकरण की मांग कर रहे थे,
SFI राज्य सचिव दिनित ने कहा कि प्रशासन से बात चीत के दौरान हमने यह मांग रखी की कुछ प्रोफेसर जो महाविद्यालय में राजनीति करते है और छात्रों से हाथापाई करते हुए भी पाए गए है उन सख्त कार्यवाही की जाए और 6 छात्रों के निष्कासन वापस लिया जाए अगर निष्कासन वापस नही लिया जाता है तो लडाई को हम कॉलेज के अंदर भी लड़ेंगे और कानूनी तौर पर भी लड़ेंगे और अगर इस कारण से अकादमिक वातावरण बाधित हुआ तो खुद कॉलेज प्रशासन जिम्मेदार होगा
एसएफआई शिमला जिला कमेटी मांग करता है कि निष्कासन का निर्णय तत्काल वापस लिया जाए या परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।