डायरेक्टर जनरल ऑफ माइनिंग सेफ्टी गाजियाबाद के निदेशक टीम के साथ खतवाड़ गांव पहुँचे .........लगातार धँस रहा है पावँटा साहिब का खतवाड गाँव........ डर के साए में जीने को मजबूर है खतवाड गाँव के लोग.....
अक्स न्यूज लाइन ..नाहन, 12 सितंबर
आखिर तिल तिल कर टूटते खतवाड़ गांव की सुध लेने डायरेक्टर जनरल ऑफ माइनिंग सेफ्टी गाजियाबाद के निदेशक टीम के साथ खतवाड़ गांव पहुँचे। यह टीम यहां खतवाड़ गांव के ग्रामीणों की शिकायत पर पहुंची और गाँव के लोगो का दर्द जाना।
भले ही खतवाड़ गाँव के ग्रामीणों कि शिकायत के कई महीनो बाद भी प्रशासन ने कोई कदम यहां लोगो की सुरक्षा के मद्देनजर नही उठाया हो मगर ग्रामीणों की शिकायत के बाद अब यहाँ खान सुरक्षा महानिदेशालय की टीम यहां पहुँची है।
खतवाड़ गांव पिछले 3 दशकों से तिल तिल कर खाई की तरफ खिसकता जा रहा है। गांव की सैकड़ो बीघा जमीन और के मकान खाई में समा चुके हैं। जबकि लगभग दो दर्जन मकानों में दरारें आ गई है।
इनमें से अधिकतर मकान रहने लायक नहीं बचे हैं। ग्रामीण दरक चुके मकानों में रहने को मजबूर है। ग्रामीण पिछले कई वर्षों से केंद्र सरकार से लेकर खनन विभाग तक हर स्तर पर अपनी बात रख रहे हैं। मगर अभी तक किसी सरकार या जिम्मेदार विभाग ने ग्रामीणों का दर्द जानने का प्रयास नहीं किया। पिछले दिनों मीडिया में मामला उछलने के बाद स्थानीय प्रशासन और स्थानीय विधायक गांव का दौरा कर गए थे।
मगर उसके बाद भी ग्रामीणों को कोई राहत नहीं मिली। भले ही गांव को असुरक्षित घोषित कर दिया था बावजूद उसके गांव के पुनर्वास और विस्थापन का कोई प्रयास प्रशासन की तरफ से नहीं किया गया। ग्रामीणों ने गांव के पास चल रही चूना पत्थर खदानों पर हो रहे अवैज्ञानिक खनन को त्रासदी के लिए जिम्मेदार बताया था।
ग्रामीणों का कहना है कि खदानों से निकलने वाले मलबे की अवैज्ञानिक ढंग से डंपिंग की जाती है। खदानों पर अवैज्ञानिक ढंग से खुदाई की जाती है। जिसकी वजह से हर साल करोड़ों टन मलबा बरसाती नाले के साथ बहकर गांव के ठीक नीचे कटाव लगाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि मलवा से लगने वाले कटाव की वजह से गांव के दो तरफ गहरी खाई बन गई है।
इन खाइयो से बरसात के दिनों में मलबा खिसकता रहता है जिसकी वजह से गांव की उपजाऊ जमीन और घर भी नाले की तरफ खिसकते जा रहे हैं। खतवाड़ गांव के ग्रामीण उनके पुनर्वास और नुकसान की भरपाई की मांग कर रहे हैं। मगर अभी तक न मुआवजा दिया गया है। न खदानों के खिलाफ कोई कार्यवाही हुई है न ही ग्रामीणों के पुनर्वास के प्रयास किए गए हैं।
वहीं ग्रामीणों के एक पक्ष का यह भी कहना है कि खतवाड़ गांव की जमीन खिसकने का कारण प्राकृतिक है। खदानों के मलबे से यहां नुकसान नहीं हो रहा है। खतवाड़ गांव को काफी नुकसान हो रहा है। इसके लिए सरकार को ग्रामीणों की मदद करनी चाहिए।
खदानों और प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के बाद मीडिया से बात करते हुए निदेशक खान सुरक्षा महानिदेशालय संजीव कुमार ने बताया कि यहां पहुंचने के बाद शिकायतकर्ता ग्रामीणों और माइन मालिकों से विस्तार से बातचीत की है। उन्होंने कहा कि खान सुरक्षा महानिदेशालय इस दौरे के बाद रिपोर्ट तैयार करेगा और आवश्यक कार्रवाई इस मामले में अमल में लाई जाएगी।