सभी उद्योगों में आपदा से निपटने की कार्य योजना होनी चाहिए- एल.आर.वर्मा
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए एल.आर.वर्मा ने कहा कि जिला सिरमौर में कालाअंब क्षेत्र आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील है क्योंकि यहां रसायनों, ज्वलनशील तथा हवा में फैलने वाले रसायनिक उत्पादों का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाता है। उन्होनें बताया कि इन उद्योगों में आपदा की स्थिती से निपटने के लिए सरकार द्वारा औद्योगिक आपदा प्रबंधन योजना तैयार की गई है ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से जान व माल की क्षति को रोका जा सके। उन्होने कहा कि सभी उद्योगों में आपदा से निपटने की कार्य योजना भी जरूर बनी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि औद्योगिक आपदा प्रबंधन योजना के अंतर्गत उद्योग, प्रशासन स्थानीय निकाय, सामूहिक संस्थाएं, नव युवक मंडल, गैर सरकारी संगठनों में समन्वय स्थापित किया जाता है तथा इन्हें किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचाव के लिए प्रशिक्षित एवं जागरूक किया जाता है ताकि आपदा के समय सभी अपने-अपने कार्यो का निष्पादन सही रूप से कर सके।
उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य है कि आपदा के लिए बनाई गई रिस्पॉन्स टीमों को अपने-अपने कार्य की सम्पूर्ण जानकारी हो तथा संचार स्थापित करने और प्रतिक्रिया में लगने वाले समय को न्यूनतम किया जा सके। उन्होंने कहा कि सभी विभागों को जिम्मेदारी से आपदा की घड़ी में आपसी समन्वय के साथ सहयोग व कार्य करना चाहिए।
उन्होने बताया कि प्रशासन द्वारा यह भी चिन्हित किया जाता है कि आपदा की स्थिती में स्कूल, कॉलेज, सामूदायिक भवन, पंचायत भवनों इत्यादि स्थलों को आपदा राहत केंद्रों व शिविरों के रूप में उपयोग किया जा सके।
उन्होंने उद्योग विभाग को आपदा की स्थिति से निपटने के लिए औद्योगिक आपदा प्रबंधन योजना को समय-समय पर दुरूस्त करने व उद्योगों को जागरूक करने के निर्देश दिए उन्होंने प्रमुख दुर्घटना संभावित उद्योगों में समय-समय पर मॉक ड्रिल करवाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने उद्योगों में लगे आपदा सुरक्षा उपकरणों का समय-समय पर निरीक्षण करने के आदेश दिए ताकि विपदा के समय उपकरण सही से कार्यशील हों।
उन्होंने उद्योगपतियों को स्थानीय पंचायत, गैर सरकारी संगठनों व स्वयं सेवकों, युवक मंडलों के साथ समन्वय स्थापित करने तथा उन्हे जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करने को कहा।
कार्यशाला के दौरान डूइर्स, गैर सरकारी संस्था शिमला की कार्यक्रम प्रबंधक व इस कार्यशाला की प्रवक्ता अनुराधा भारद्वाज ने औद्योगिक आपदा से निपटने के लिए किए जाने वाले कार्यों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होनें उद्योगपतियां को भूकंप, केमिकल रसाव, आगजनी व प्राकृतिक आपदाओं के लिए आवश्यक प्रबंधन व बचाव की तैयारीयों संबधी जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि सभी उद्योगों में रूट मैप, बिल्डिंग प्लान, निकासी द्वार, साइनेज, इमरजेंसी लाइट व आपातकालीन दूरभाष आदि की जानकारी सामने प्रदर्शित होनी चाहिए ताकि आपात कालीन स्थिति में उद्योगों में काम करने वाले लोग इसका आसानी से इस्तेमाल कर सकें। उन्होंने बताया कि उद्योगों में कार्यरत कर्मियों को समय-समय पर आपदा प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
इस कार्यशाला का संचालन करते हुए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सिरमौर के राजन शर्मा ने उद्योगों में विभिन्न आपदाओं के प्रकार पर जानकारी दी। उन्होंने राज्य व जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की कार्यप्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की व जिला के आपातकालीन दूरभाष नम्बरों को भी सांझा किया।
इसके अतिरिक्त हिमाचल गृह रक्षा विभाग व अग्निशमन विभाग नाहन के जवानों ने आगजनी की घटना के दौरान अपना बचाव, प्राथमिक उपचार व सर्च व रेस्क्यू का प्रदर्शन कर मौजूद लोगों को प्रशिक्षित किया।
इस कार्यशाला का समापन सहायक आयुक्त सिरमौर गौरव महाजन ने करते हुए कहा कि आपदा के समय में सभी को बाहरी सहायता मिलने तक आपसी समन्वय बनाकर आपदा का सामना करना चाहिए। उन्होंने आपदा प्रबंधन समिति के सदस्यों तथा उद्योगपतियों व स्वयं सहायता समूहों सहित अन्य पदाधिकारियों का कार्यशाला में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद किया।