एसएफआई विश्वविद्यालय इकाई ने विश्वविद्यालय में छात्र मांगों को लेकर 24 घंटे की सांकेतिक हड़ताल शुरू की
अक्स न्यूज लाइन शिमला 27 फरवरी :
एसएफआई ने विश्वविद्यालय में विभिन्न छात्रों की मांगों को लेकर आज से कैंपस में सांकेतिक हड़ताल शुरू की एसएफआई लंबे समय से इन मांग को लेकर संघर्ष कर रही है। इस धरना प्रदर्शन में बात रखते हुए कैंपस सचिवालय सदस्य मुकेश ने कहा की विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों को मूलभूत सुविधा देने में सक्षम नहीं है जिसके चलते आज 54 वर्ष स्थापना के विश्वविद्यालय को हो चुके हैं उसके बावजूद भी विश्वविद्यालय का छात्र हॉस्टल की सुविधाओं को लेकर खान की गुणवत्ताओं को लेकर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों में सेंट्रल हीटिंग सिस्टम को लेकर और विश्वविद्यालय में शिक्षा की गुणवत्ताओं व इआरपी सिस्टम के खिलाफ लगातार संघर्ष कर रहा है। इन्होंने आगे बात रखते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में पूर्व भाजपा की सरकार द्वारा आउटसोर्स के नाम पर और प्रोफेसर भर्तियों में काफी बड़े स्तर पर धांधलिया की गई। एस एफ आई यह लगातार मांग करती आ रही है कि इन भर्तियों की जांच की जानी चाहिए परंतु प्रदेश सरकार की मिली भगत के चलते और प्रशासन की मिली भगत के चलते और धांधलियों की जांच अभी तक नहीं की जा रही है।
इस धरने में आगे बात रखते हुए कैम्पस सचिव सन्नी सेकटा ने चेतावनी देते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार बिना सोचे समझे राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रदेश के अंदर लागू करने जा रही है इसका कड़े शब्दों में विरोध करती है और एसएफआई का मानना है कि उसे बिना किसी चर्चा किये छात्रों के बीच लाना कहीं ना कहीं आने वाले समय के अंदर हजारों छात्रों का भविष्य बर्बाद करना होगा। एस एफ आई इस सांकेतिक हड़ताल से यह अभी मांग कर रही है कि विश्वविद्यालय के अंदर स्थाई कुलपति की नियुक्ति की जानी चाहिए बिना स्थाई कुलपति के विश्वविद्यालय के अंदर बहुत सारी कमियां है जिसको पूरा करने के लिए स्थाई कुलपति का
विश्वविद्यालय के अंदर होना बहुत जरूरी है तभी इन सारी कमियों को विश्वविद्यालय के अंदर दूर किया जा सकता है
इकाई सचिव सन्नी सेकटा ने कहा कि एक तरफ तो विश्वविद्यालय प्रशासन स्थाई रोजगार देने में असमर्थ हैं परन्तु दूसरी तरफ हर महीने- दो महीनों के अन्दर आउटसोर्स के जरिए नये - नये लोगों को भरने का काम किया जा रहा है। इस सब का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। सन्नी सेक्टा ने कहा कि एस एफ आई ने पहले भी प्रशासन से मांग की है कि विश्वविद्यालय के अन्दर जो भी रोजगार होगा वो स्थाई होना चाहिए।
इसलिए प्रशासन आउटसोर्सिंग की भर्तियों को बन्द कर नॉन टीचिंग स्टाफ की भर्तियों को जल्द से जल्द करवाने का कार्य करें। साथ ही कुछ समय पहले विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा एक तुगलकी फरमान जारी किया जाता है जिस मैं विश्वविद्यालय के जितने भी ओथर्टी है अगर कोई छात्र संगठन मिलना चाह रहा है तो 5 लोगों से ज्यादा लोग नहीं मिल सकते है उस पर साफ तौर पर दिखता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन सवालों से डरता है और आज के समय में किस तरह छात्रों के जनवादी अधिकारों खत्म किया जा रहा है इसके पीछे के कारण यही है की जब छात्र विश्वविद्यालय के प्रशासन से सवाल पूछता है की लाइब्रेरी को 24 घंटे के लिए खोला नही जाता ,सेंट्रल हिटिंग सिस्टम क्यू नही लगता , नॉन टीचिंग स्टाफ की भर्तियां क्यों नही होती 2020 मैं जो शिक्षक भर्ती हुई थी इसके ऊपर आज तक जांच कमेटी गठित क्यू नही हुई इन सवालों के जवाब विश्विद्यालय प्रशासन के पास नही है जिसके कारण विश्वविद्यालय प्रशासन इस प्रकार के तुगलकी फरमान निकलता है ताकि छात्र उन से सवाल न पूछ सके। इसी कारण से विश्वविद्यालय के एसएफआई के 12 छात्रों को भी निष्कासित विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदेश सरकार की साजिश और प्रशासन की साजिश के चलते बाहर किया है।
एसएफआई ने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि इन भी मांगों को अगर जल्दी से जल्दी पूरा नहीं किया गया तो आने वाले समय में छात्रों को लामबंद करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ और प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन करेगी। जिसका जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन तथा प्रदेश सरकार होगी।