उपायुक्त ने की अध्यक्षता में वन संरक्षण अधिनियम समिति की बैठक का आयोजन
उपायुक्त ने बताया कि कुल 156 मामलों में से कुछ मामले यूजर एजेंसी, डीएफओ स्तर पर, नोडल अधिकारी, क्षेत्रीय अधिकारी एवं राज्य सरकार के स्तर पर लंबित है। इनमे 63 मामले शिमला शहरी मंडल, 59 शिमला ग्रामीण मंडल, 12 मामले ठियोग मंडल, 9 मामले रोहड़ू मंडल, 7 मामले रामपुर मंडल, 7 मामले चौपाल और 7 मामले कोटगढ़ मंडल के शामिल हैं। उन्होंने कहा कि एफसीए से संबंधित लंबित मामलों का जल्द निपटारा करने के लिए संबंधित विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि इन मामलों का निपटारा करने के लिए जरुरी कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है ताकि विकास कार्यों को गति प्राप्त हो सके। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि जो एफसीए के मामले वापिस लिए जाने है, उन मामलों को भी जल्द वापिस किया जाए ताकि पोर्टल पर मामले लंबित न पड़े रहे। उपायुक्त ने कहा कि इन मामलों के लंबित रहने से जिला और प्रदेश के विकास पर विपरीत असर पड़ता है। अगर कुछ मामले संभव नहीं लग रहे हैं तो उनकी गहनता से जांच कर आगामी कार्यवाई के लिए निर्णय लें। उन्होंने सभी सम्बंधित विभागों को इस सन्दर्भ में आंतरिक बैठकें आयोजित कर सभी मामलों की वास्तविक स्थिति का आकलन करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस सन्दर्भ में अगली बैठक जल्द बुलाई जाएगी और उस बैठक में सब कुछ साफ़ होना चाहिए की आगामी कार्यवाई क्या रहेगी। उन्होंने कहा कि सामरिक महत्व वाले विकास कार्यों को जल्दी से जल्दी धरातल पर लाने के भरसक प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि मामलों को धरातल पर उतरने में देरी होने से उनकी लागत राशि में बढ़ोतरी होती रहती है जिससे सरकार को नुकसान होता है।
बैठक में विभिन्न मंडल के वनमंडलाधिकारी, वन विभाग के अधिकारी एवं अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।