अक्स न्यूज लाइन सिरमौर 30 मई :
हिमाचल प्रदेश में चुनावी लहर को भाजपा के पक्ष में देखकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बौखलाहट में हैं। वे जिम्मेदार पद पर होने के बावजूद असंवेदनशील बयानबाजी कर रहे हैं, जो दर्शाता है कि वे अभी भी छात्र राजनीति की मानसिकता से ऊपर नहीं उठ पाए हैं। भारतीय जनता पार्टी लोकसभा सांसद एंव प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने जनसंपर्क कार्यक्रम के दौरान कहा कि अपनी संभावित हार को भांपते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बड़सर के विधायक पर निराधार आरोप लगाए हैं और अपनी जनसभाओं में बार-बार झूठी बातें करके जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे उनकी बौखलाहट स्पष्ट दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने अपनी जनसभाओं में कहा है कि बड़सर में 55 लाख रुपये बरामद हुए हैं। हम उनसे अनुरोध करते हैं कि वे इस दावे के समर्थन में सबूत पेश करें। यदि वास्तव में यह राशि बरामद हुई है, तो इसे प्रदेश की ट्रेजरी में जमा किया जाना चाहिए था। प्रशासन को इस मामले की कोई जानकारी नहीं है कि यह पैसा कहां और किससे मिला।
सांसद सुरेश ने कहा कि मुख्यमंत्री को यह आभास हो गया है कि आगामी लोकसभा और हिमाचल प्रदेश के उपचुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ेगा। इस कारण से कांग्रेस के नेता बौखलाहट में बयानबाजी कर रहे हैं और झूठे, निराधार आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस इस तरह के कृत्यों से केवल राजनीतिक वातावरण को दूषित करने और जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुक्खू की सरकार पिछले 16 महीनों में कोई विकास कार्य नहीं कर पाई है और जनता को ठगने का काम कर रही है। हिमाचल की माताएं-बहनें अभी भी 1500रूपए प्रति माह की राशि का इंतजार कर रही हैं। किसान अभी तक 2रूपए प्रति किलो गोबर और 100रूपए प्रति लीटर दूध खरीदे जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। युवा 5 लाख नौकरियों का इंतजार कर रहे हैं, और जनता 300 यूनिट मुफ्त बिजली का। इस असफलता से जनता का ध्यान भटकाने के लिए मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता झूठे आरोप लगा रहे हैं।
कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री के द्वारा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुधीर शर्मा के घर पर 200 से अधिक पुलिस जवानियों का घेराव अति निंदनीय है। सरकार गुंडागर्दी पर उतर आई है, मुख्यमंत्री निचले स्तर की राजनीति कर रहे हैं और व्यक्तिगत प्रतिशोध की राजनीति में लगे हुए हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं की दुकानों पर छापेमारी भी इस बात का प्रमाण है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार पुरानी पेंशन स्कीम (ओ.पी.एस) को लेकर भी बड़े आरोपों का सामना कर रही है। सरकार लोकसभा चुनावों के बाद ओ.पी.एस. की राशि में कटौती करने जा रही है। वर्तमान में कर्मचारियों को सेवानिवृत होने पर मिलने वाली सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता है, लेकिन अब इसे 30 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। कर्मचारियों के साथ खिलवाड़ की साजिश हो रही है जो अत्यंत निंदनीय है।