अक्स न्यूज लाइन शिमला 08 मई :
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज यहां कहा कि वर्तमान राज्य सरकार समाज के प्रत्येक वर्ग विशेषकर कमजोर वर्गोें के कल्याण एवं उत्थान के लिए अनेक प्रभावी कदम उठा रही है ताकि वे अपना जीवन सम्मानपूर्वक एवं सुविधाजनक जी सकें तथा उनके सामाजिक-आर्थिक तौर पर आशातीत बदलाव सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस सरकार ने सत्ता संभालते ही कमजोर वर्गों के जीवन-यापन में सुधार लाने के लिए अनेक महत्वकांक्षी योजनाएं आरम्भ की हैं जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने इस वित्त वर्ष से वाल्मीकि समाज के लोगों और कामगारों के लिए आवास निर्माण में सहायता प्रदान करने के लिए ‘महर्षि वाल्मीकि कामगर आवास योजना’ आरम्भ करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत राज्य सरकार वाल्मीकि समाज के ऐसे सफाई कर्मचारियों जिनकी वार्षिक आय अढ़ाई लाख रूपये से कम हो तथा उनका अपना घर न हो को आवास निर्माण के लिए तीन लाख रूपये तक की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी ताकि वे अपना घर बना सकें तथा उनका जीवन यापन सुलभ हो सके।
ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने ‘मुख्यमंत्री विधवा एवं एकल नारी आवास योजना’ के तहत गृह निर्माण के लिए प्रदान की जा रही आर्थिक सहायता को भी डेढ़ लाख रूपये से बढ़ाकर तीन लाख रूपये कर दिया है जिससे विधवाओं एवं एकल नारियों को घर निर्माण के लिए समुचित धनराशि उपलब्ध हो तथा उनके जीवन स्तर में सुधार हो। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने विधवाओं के बच्चों को भी मुफ्त शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया है ताकि उनके बच्चे संसाधनों की कमी के कारण गुणात्मक शिक्षा से वंचित न रहे तथा इच्छानुसार वे अपने जीवन में आगे बढ़कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रदेश के नगर निगम धर्मशाला, सोलन और शिमला तथा नगर परिषद् नालागढ़ और परवाणू में रहने वाले कमजोर वर्गों तथा झुग्गी-झोपड़ी वासियों को मकान आवंटित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इस आवंटन में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी वर्ग तथा विधवाओं, निराश्रित महिलाओं, दिव्यांगों को अधिमान दिया जा जाएगा।
ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान सरकार का लक्ष्य समाज के कमजोर वर्गों का समुचित कल्याण एवं उत्थान सुनिश्चित कर उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाना है ताकि वे उपेक्षित महसूस न करें तथा जीवन में अपनी इच्छानुसार अपने ध्येय को प्राप्त कर सामाजिक एवं आर्थिक तौर पर सशक्त हो सकें।