सिरमौरके मवेशियों में पैर पसार रहा है लंपी त्वचा रोग, जिला के पशुपालक बरतेंसावधानी-नीरू शबनम

सिरमौरके मवेशियों में पैर पसार रहा है लंपी त्वचा रोग, जिला के पशुपालक बरतेंसावधानी-नीरू शबनम

 नाहन6 अगस्त- पंजाब व राजस्थान के बाद अब सिरमौर के पशुओं में भी लंपि त्वचारोग के फैलने की पुष्टि हो चुकी है। यह जानकारी उपनिदेशक पशुपालन विभागनीरू शबनम ने दी।   
 उन्होंने बताया कि जिला सिरमौर केराजगढ़ ब्लाक के अंतर्गत नैना टिक्कर व नारग, नाहन ब्लाक के अंतर्गत कालाअंब सैनवालाऔर शंभूवाला के पशुओं में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। उन्होंनेबताया कि यह रोग एक वायरस के चलते मवेशियों में फैलता है इसे गाठदार वायरस एलएसडीवीभी कहा जाता है। उन्होंने इस वायरस के लक्षणों के बारे में बताते हुएकहा कि  इस वायरस के फैलने से पशुओं को 105 से 107 डिग्री सेल्सियस तेजबुखार हो सकता है। इसके अतिरिक्त पशुओं के शरीर में निशान बनते हैं और बादमें निशान घाव बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि पशुओं के मुंह से लार टपकनेशुरू होती है। उन्होंने बताया कि इस वायरस का सबसे ज्यादा संक्रमण गायों में होताहै। 
   नीरु शबनम ने बताया कि  पशुपालकों कोअपने पशुओं को संक्रमित पशुओं से दूर रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि लंपीत्वचा रोग से पशुओं को बचाने के लिए घर पर ही मौजूद चीजों की मदद सेपारंपरिक विधि अपनाते हुए खुराक तैयार करनी होगी। उन्होंनेबताया कि पशुपालकों को  यह खुराक तैयार करने के लिए पान के 10 पत्ते, 10ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम नमक व गुड को मिलाने के बाद पीसकर एक खुराक तैयार करनीहोगी और उसे न्यूनतम 1 घंटे के अंतराल पर पशुओं को बार-बार खिलानाहोगा।
उन्होंने पशुओं को इस वायरस से बचाने के लिए दूसरी विधि का प्रयोग केबारे में बताया कि पशुपालकों को दो लहसुन, 10 ग्राम धनिया, 10 ग्राम जीरा,तुलसी का पत्ता, तेज का पत्ता, काली मिर्च 10 ग्राम, पान का पत्ता, हल्दी पाउडर 10 ग्राम,चिरायता के पत्ते का पाउडर 30 ग्राम, बेसिल का पत्ता एक मुट्ठी, बल का पत्ता एक मुट्ठी,नीम का पत्ता एक मुट्ठी, गुड सौ ग्राम को पीसकर हर 3 घंटे में पशुओं को खिलानाहोगा।
उन्होंनेबताया कि यदि किसी पशु को लंबी त्वचा रोग लग जाए तो उसके शरीर में घाव बनजाते हैं और उस घाव को को मिटाने के लिए पशुपालक को कुप्पी का एक मुट्ठी पतानीम का पत्ता, 500 मिलीलीटर नारियल व तिल का तेल,  हल्दी पाउडर, मेहंदी का पत्तावी  तुलसी का पत्ता एक मुट्ठी पता लेकर उसका पेस्ट बनाने के पश्चात 500 लीटर उसमेंनारियल अथवा तिल का तेल मिलाकर उबालने के बाद ठंडा कर लें जिसके पश्चात पशुओंके गांव को अच्छी तरह से साफ करने के बाद उस पेस्ट को घाव में लगाएं।
उन्होंनेबताया कि पशुओं को पेस्ट लगाने के बाद हाथों को अच्छे से धोए और पशुओंमें इस संक्रमण के लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी पशु चिकित्सालय से गोट वैक्सीनअवश्य लगाएं। नीरू शबनम ने जिला के पशुपालकों से इस संक्रमण के प्रति सावधानी बरतनेकी अपील की है।