साहित्य हमारी संस्कृति का बहुमूल्य अंग, जिसे संजोए रखना हम सभी का कर्तव्य-अजय कुमार यादव
अजय कुमार यादव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध साहित्यकार चंद्रधर शर्मा गुलेरी की जयंती के अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि साहित्य ज्ञान का एक बड़ा स्रोत है। साहित्य के माध्यम से विभिन्न विषयों को समाज के सामने प्रस्तुत किया जा सकता है, और समाज एक बेहतर दिशा की ओर अग्रसर हो सकता है। साहित्यकारों ने हमेशा ही आम लोगों की समस्याओं को उजागर किया है और उनके समाधान के लिए लोगों को प्रेरित किया है।
इस अवसर पर शिमला की संस्था ‘द बिग्गनर्स’ द्वारा पंडित चंदर धर शर्मा दुलेरी की रचना ‘सुखम्यी जीवन’ पर आधारित नाटक का मंचन भी किया गया।
कवि सम्मेलन में डॉ. शंकर वशिष्ठ ने ‘दीपावली के दीप’, मदन हिमाचल ने ‘जियो और जीने की राह जोड़ दो’, डॉ. प्रेमलाल गौतम ने ‘क्षितिज के उस पार तक’, रोशन जसवाल ने ‘नज़्म’, ज़ाहिद अबसेल ने ‘ख्वाब दूं अपने दिल में’, रमेश चंद ने ‘मैं दिखां नां क्या’, प्रभात शर्मा ने ‘आया सावन’, हरिराम धीमान ने ‘आंखो देखा झूठ’, ज्योति प्रकाश ने ‘यह दौर’, डॉ. आदिति गुलेरी ने ‘धु्रवतारा’, ललिता कश्यप ने ‘विधाता छद लगी खम नील नीरज तुम’, जगजीत आज़ाद ने ‘कांटों से भरी खामोश डगर’, सुभाष साहिल ने ‘हादसे मेरी तलाश में जरूर थे’, फिरोज कुमार ‘रोज़’ ने ‘सदा के वास्ते यारो यहां पे कौन जीता है’, अशोक कालीया ने ‘हम जान से भी बढ़ कर थे’, राम लाल शर्मा ने ‘कयों नही काबू में रख पाते’, अतुल कुमार ने ‘मोटापा दिवस पति से’, सुलेखा देवी ने ‘ये जमाना बदल रहा है या फिर हम’, कनिका देवी ने ‘नी रैये हुण’, रत्न चंद ने ‘मज़बूर काव्यांश’ तथा ओजस्विनी सचदेवा ने ‘कविता’ ने अपना कविता पाठ किया।
विशिष्ट अतिथि प्रत्युष गुलेरी व अदिति गुलेरी ने अपनी काव्य रचना का पाठन कर सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। प्रत्युष गुलेरी ने पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी के जीवन से जुड़ी विभिन्न घटनाओं को सांझ भी किया।
इस अवसर पर भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक डॉ. ललित पंकज, उप निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग अलका, तहसीलदार कसौली जगपाल, ज़िला भाषा अधिकारी ममता, विभिन्न जिलों से साहित्यकार व कवि सहित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सनावर तथा कसौली के विद्यार्थी उपस्थित थे।