शिवालिक पहाडिय़ों के सिन्धुबन क्षेत्र में प्रचीन सतकुम्भा तीर्थ...... बालक मार्कण्डेय ने जहां महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया था
: शिवालिक पहाडिय़ों के सिन्धुबन क्षेत्र में प्रचीन सतकुम्भा तीर्थ स्थित है। यहां सात जलधाराओं से परिपूर्ण बावड़ी, पंचमुखी शिवलिंग व अति प्राचीन धूणा है। महर्षि मार्कण्डेय मृकण्डु ऋषि के पुत्र थे। मृकण्डु ऋषि के कोई सन्तान नहीं थी। उन्होंने सन्तान प्राप्ति के लिए लिए श्री विष्णु जी की तपस्या की। भगवान विष्णु ने उन्हें एक अलौकिक पुत्र का वरदान दिया परन्तु बालक की आयु केवल बारह साल बताई।
भगवान विष्णु के आशीर्वाद से महर्षि मार्कण्डेय का जन्म हुआ। उनकी जन्मभूमि हरियाणा में कैथल के साथ मटोल में बताई जाती है। जन्म के साथ ही बालक मार्कण्डेय को अपनी अल्पायु का ज्ञान था इसलिए वह भगवान शिव के परम भक्त बन गए। माना जाता है कि सतकुम्भा तीर्थ के एकान्त स्थान पर उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया। महर्षि मार्कण्डेय सात कुम्भौ से परिपूर्ण बावड़ी से जल लेकर पन्चमुखी शिवलिंग को जलाभिषेक करते तथा प्राचीन धूने के पास बैठ कर शिव शंकर भगवान की घोर तपस्या करते थे। आज भी यहां भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं पवित्र जल में स्नान करके पंचमुखी शिवलिंग को जलाभिषेक करते हैं। यहां हर सोमवार को भण्डारे का आयोजन किया जाता है।
यह पवित्र तीर्थ काला अम्ब से लगभग सात किलोमीटर दूर हरियाणा हिमाचल सीमा पर पहाडिय़ों के बीच एकान्त में स्थित है। हरियाणा के झण्डा नामक स्थान से पहाड़ी रास्ता शुरू हो जाता है। लगभग तीन किलोमीटर का रास्ता उबड़ खाबड़ है। लेकिन तीर्थ स्थल पर पहुंच कर अद्भुत मानसिक शांति मिलती है। बताया जाता है कि महर्षि मार्कण्डेय इस तीर्थ से शिवमन्दिर पौड़ी वाला होते हुए मारकण्डा नदी की उद्गम स्थली जोगीबन मार्कण्डेश्वर धाम बोहलियो पहुंचे। इन्हीं स्थानों पर उन्होंने मार्कण्डेय पुराण की रचना की। श्री दुर्गा सप्तशती मार्कण्डेय पुराण का ही एक अंश है जिसे नवरात्रि में लगभग हर घर में पढ़ा जाता है। जोगी बन में ही मार्कण्डेय जी को अमर करने शिवलिंग से भगवान शिव प्रकट हुए। 1970-80 के दशक में सतकुम्भा तीर्थ के तत्कालीन महात्मा ब्रह्मलीन स्वामी सीता राम जी बताते थे कि महर्षि मार्कण्डेय को अमर करने के बाद भगवान शिव सतकुम्भा के इसी शिवलिंग में समा गए थे। बिक्रम बाग पंचायत के पूर्व प्रधान स्व पण्डित राजकिशन शर्मा जी मार्कण्डेय ऋषि के अनन्य उपासक थे भी इस तथ्य की पुष्टि करते थे।
सतकुम्भा तीर्थ पर महिलाओं के लिए अलग से स्नानागार बनाए गए हैं। भण्डारा हाल का भी निर्माण किया गया है। भण्डारा बनाने के लिए बर्तन भी उपलब्ध है। हरियाणा सरकार द्वारा इस तीर्थ स्थल पर बिजली की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। वह दिन भी दूर नहीं जब यहां सड़क सुविधा भी उपलब्ध होगी।