लम्पी त्वचा रोग के प्रसार को रोकने के लिए बाहर से पशुओं को लाने और ले जाने पर लगाया प्रतिबंध

लम्पी त्वचा रोग के प्रसार को रोकने के लिए बाहर से पशुओं को लाने और ले जाने पर लगाया प्रतिबंध

टीकाकरण हेतु 22 टीम व इलाज के लिए 21 टीमों का किया गठन, हेल्पलाइन नंबर किए जारी
नाहन 08 सितम्बर - जिला सिरमौर में लम्पी त्वचा रोग के प्रसार को रोकने के लिए पशु अधिनियम-2009 में संक्रामक और संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के तहत नियंत्रित क्षेत्रों में बाहर से पशुओं (गाय और भैंस) को लाने और ले जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह प्रतिबंध शुरुआत में चार सप्ताह की अवधि के लिए जारी रहेगा।
इस सम्बन्ध में आदेश जारी करते हुए उपायुक्त सिरमौर राम कुमार गौतम ने बताया कि जिला सिरमौर में लम्पी त्वचा रोग के प्रसार को रोकने के लिए जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग द्वारा हर मुमकिन कदम उठाया जा रहा है जिसके तहत ग्रसित पशुओं का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि टीकाकरण कार्य को गति देने हेतु 22 टीमों का गठन किया गया है जबकि ग्रसित पशुओं के इलाज के लिए 21 टीमों का गठन किया गया है। 
उन्होंने कहा कि पंचायतें अपने स्तर पर सुनिश्चित करेगी की पशुओं को लाने और ले जाने का कार्य न हो रहा हो। यदि ऐसा कोई मामला संज्ञान में आता है तो दोषी के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही अमल में लायी जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि किसी पशु की मृत्यु लम्पी त्वचा रोग से हो जाती है तो पंचायत द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत उसे एक गहरे गढ़ा कर दफनाया जायेगा जिसके लिए वह 15वें वित्त आयोग की राशि का उपयोग कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त पंचायतें अपने क्षेत्र में सनीटाईजेशन के कार्य भी करवाएंगी और निराश्रित पशुओं की देखभाल और रख रखाव भी सुनिश्चित करेंगी।
उपायुक्त ने बताया कि जिला सिरमौर में लगभग 2.70 लाख गाय हैं और लगभग 38000 भैंसें हैं। अभी तक लगभग 9000 पशुओं में लम्पी त्वचा रोग पाया गया है जिनमें से 4700 से अधिक इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं तथा लगभग 4200 अभी इस रोग की चपेट में हैं। इस रोग से अभी तक 287 पशुओं की मृत्यु हुई है। जिला में अभी तक लगभग 35000 पशुओं को वैक्सीन लगाई जा चुकी है तथा शेष को भी जल्द वैक्सीन लगाई जाएगी। 
 लम्पी संक्रमण पशुओं को बचाने के तरीकों की जानकारी देते हुए उपनिदेशक पशुपालन डॉ नीरू शबनम ने बताया कि स्वस्थ पशुओं को संक्रमित पशुओं से अलग बाँध कर रखें व उनको चारा और पानी भी अलग-अलग दे। पशुशाला में कीटों, मक्खियों व मच्छरों पर काबू करने के उपाय तुरंत करें। संक्रमित पशुओं वाले क्षेत्र घर आदि जगह पर साफ-सफाई (20 प्रतिशत ईयर क्लोरोफॉर्म, फिनाइल 2 प्रतिशत, सोडियम हाइपोक्लोराइड 1 से 2 प्रतिशत, आयोडीन कमपाउंड 1ः33 और अमोनियम कंपाऊंड) से संक्रमण मुक्त करें। 50 लीटर पानी, 250 ग्राम फिटकरी मिलाकर इस घोल को स्वस्थ व रोगी गाय को अलग-अलग कपड़े से पोछें। संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करें। संक्रमित पशु के 5 किलो मीटर के दायरे में स्वस्थ पशुओं का टिकाकरण प्रतिबंधित है। पशु के संक्रमित होने पर तुरंत नजदीकी पशु औषधालय या पशु चिकित्सालय में इलाज हेतु सम्पर्क करे।
उन्होंने बताया कि लोगों की सुविधा के लिए पशुपालन विभाग द्वारा जिला के हर एक उपमंडल स्तर पर हेल्पलाइन नंबर भी जारी किये गए हैं। नाहन उपमंडल में लोग डॉ परवेश ठाकुर 8627061539 और डॉ रितिका गुप्ता 9729498068 से संपर्क कर सकते हैं। इसी प्रकार, पांवटा साहिब उपमंडल में डॉ पंकज कुमार 8199002233 और डॉ निकुंज गुप्ता 8894836599 से संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि शिलाई उपमंडल में डॉ अमित महाजन 9418059905 और डॉ किरण ठाकुर 8219918879 से संपर्क कर सकते हैं। इसी प्रकार संगड़ाह उपमंडल में डॉ अमित वर्मा 9418676793, डॉ दीपिका बिष्ट 9418877610 और डॉ रेनू चैहान 7018181794 तथा राजगढ़ उपमंडल में डॉ अभिषेक गाँधी 9418488334 और डॉ जय राम 9418055446 से संपर्क कर सकते हैं।