फर्जी डिग्रियों के सहारे नौकरी लेकर 18 साल से सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे पांच शिक्षक
शिमला
फर्जी डिग्री के सहारे कुल्लू व मंडी जिला में आज भी पांच शिक्षक बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कुल्लू में दो महिलाएं व एक पुरुष वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाते हैं। इन शिक्षकों पर सत्तारूढ़ राजनीतिज्ञों का संरक्षण प्राप्त है, जबकि डेढ़ महीना पहले शिमला जिला से भी फर्जी डिग्री धारक शिक्षकों को नौकरी से बाहर किया गया है।
फर्जी डिग्री लेकर स्कूलों में पढ़ाने वाले मामले मंडी, कुल्लू, कांगड़ा, हमीरपुर, सिरमौर व शिमला में पकड़ में आए हैं। आरोपी फर्जी डिग्रीधारकों में पूर्व सैनिक और प्रदेश के छह जिलों के लोग सामने आए हैं। फर्जी डिग्री के सहारे पूर्व सैनिक भी शिक्षक बन बैठे थे। इन पूर्व सैनिकों में से 12 सैनिकों ने सेना में रहकर ही बिहार के बोधगया स्थित मगध विश्वविद्यालय से फर्जी डिग्रियां प्राप्त की थी।
विजिलेंस जांच में पता चला है कि बारह तत्कालीन सैनिकों ने (अब पूर्व) और पांच सामान्य व्यक्तियों ने शिक्षा विभाग में टीजीटी की नौकरी की। इनमें से कुछ अभी भी नौकरी कर रहे हैं, जबकि कुछ सेवानिवृत्त हो चुके हैं। शिक्षा विभाग में वर्ष 2004-05 में टीजीटी भर्ती हुई थी। आरोपियों ने मगध विवि से बीएड, बीएससी, एमएससी की डिग्रियां फर्जी तरीके से हासिल की थी।
इन 17 शिक्षकों द्वारा फर्जी डिग्री से नौकरी करने के मामलों में से अधिकतर की जांच एसडीएम द्वारा की गई थी। जांच रिपोर्ट में एसडीएम ने फर्जी डिग्रियों को सही बताया था। गौर हो कि वर्ष 2018 में किसी ने 17 फर्जी डिग्रियों की शिकायत विजिलेंस से की थी।
विजिलेंस जांच में इन डिग्रियों के फर्जी होने के प्रमाण मिले। इसके आधार पर 2019 में हमीरपुर थाने में केस दर्ज किया गया। विजिलेंस ने जांच के लिए सब इंस्पेक्टर की अगुवाई में टीम गठित की। जांच में सभी 17 डिग्रियों के फर्जी पाए जाने के पुख्ता प्रमाण मिले।