क्यों फिसल गया नगीना नाहन स्वच्छता रैंकिंग में: सूबे के टॉप टेन में भी नहीं रहा...ऐसा क्यों.... अरुण साथी

अक्स न्यूज लाइन नाहन 22 जुलाई :
नगीना कहे जाने वाले ऐतिहासिक नाहन शहर की स्वच्छता पिछले कई साल से पटरी से उतर चुकी है। सूबे के स्थानीय निकायों के लिए हाल ही में केंद्रीय एजेंसी के जारी स्वच्छता रैंकिंग सर्वे में नाहन बुरी तरह से पिछड़ कर रह गया है।
आलम यह है स्वच्छता रैंकिंग में आए राज्य के टॉप टेन शहरों की लिस्ट में फिसला है। हैरानी यह भी है कि जिला सिरमौर में भी तीसरे स्थान पर दिखाया गया है क्योंकि जिले में स्थानीय निकायों की आंकड़ा तीन हैं । अगर यह आंकड़ा ज्यादा होता तो शहर की रैंकिंग औऱ नीचे गिरती।
शहर की स्वच्छता रैंकिंग ने कभी अच्छे दिन भी देखे थे, मिसाल है तौर पर वर्ष 2019-20 में नगर परिषद को स्वच्छता समेत ओवर ऑल बेस्ट परफॉर्मेंस के लिए अव्वल आने पर नगर परिषद को 1करोड़ का रुपये का पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है। लेकिन अब कुछ सालों में ऐसा क्या हो गया कि स्वच्छता रैंकिंग में सूबे में अव्वल आ आया यह शहर जीरो होकर रह गया।
इस स्थिति के लिये कई कारण यह चिंता और चिन्तन का विषय है। एक जमाने में कभी उत्तर भारत के स्वास्थ्य वर्धक शहरों में शुमार, यह शहर अपनी साफ सफाई के लिये जाना जाता था। आज हालत सबके सामने है।
इसके के लिए नगर परिषद की लचर कार्यप्रणाली, सियासी दख़ल,पार्षदों का एकाधिकार, नप सफाई कर्मचारियों मेंआपसी तालमेल की कमी के साथ साथ लोगों का डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन स्कीम में सहयोग न करना जैसे अहम मुद्दे है जिसके चलते स्वच्छता अभियान पटरी से उतर गया औऱ स्वच्छता रैंकिंग में नाहन का ग्राफ नीचे गिरा।
शहर में स्वच्छता अभियान अगर सफल बनाना है तो इसके लिए कड़े क़दम उठाने की जरूरत हैं। न की स्वच्छता के नाम पर कागजों में मुहिम चलती रहे लाखों का बजट टिकाने लगता रहे।
जरूरी है कि डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन स्कीम को सख्ती से लागू किया जाए। ऐसे सफाई कर्मचारियों के खिलाफ भी एक्शन होना चाहिये जो स्कीम में लोगों को सहयोग नही कर रहें हैं। खुले में कचरा फेंकने वाले लोगों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। बिना सियासी दखल के गारबेज एक्ट के तहत चालान होने चाहिए। शहर में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने व पालतू जानवरों को शहर में खुला घुमाने वाले लोगों पर शिकंजा कसने की जररूत है।
हद तो अब इस बात की हो गई है कि शहर के कोने कोने में लोग अपनी सुविधा के अनुसार खुले में कचरा फेंक रहे हैं। उत्पाती बंदर, पालतू जानवर व बेसहारा गोवंश इस कचरे को सड़कों गलियों में फैला रहे हैं और शहर धीरे धीरे महामारी की औऱ बढ़ रहा है देखना यह है कि सिस्टम कब जागेगा औऱ शहर स्वच्छता के पैमाने पर कब खरा उतरेगा....