अक्स न्यूज लाइन शिमला 28 फरवरी :
भाजपा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है की हिमाचल कि कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश के मंदिरों से अपनी परियोजनाओं को चलाने के लिए पैसे मांगे हैं। आज से पहले हिमाचल प्रदेश में किसी भी सरकार ने ऐसा नहीं किया। एक तरफ हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है और दूसरी तरफ देव स्थलीयों को लूटने का प्रयास कांग्रेस की सरकार कर रही है।
उन्होंने कहा कि मंदिरों में जो पैसा आता है वह श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर के उत्थान के लिए दिया जाता है इसी के साथ-साथ धर्म से जुड़ी आस्थाओं को भी बल देने के लिए इस पैसे का इस्तेमाल किया जाता है। अनेकों धर्म योजनाओं पर इस पैसों को खर्च करने का प्रावधान मंदिर समितियां द्वारा किया जाता है पर ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी सरकार ने मंदिरों के पैसे को अपनी योजनाओं को बल देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व में भी इस प्रकार के मुद्दे उठाए हैं और मंदिरों से जुड़े मुद्दों को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के कुप्रबंधन को जनता के समक्ष लाया है। आज सार्वजनिक रूप में कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए कार्यों ने ऐसे जन विरोधी, धर्म विरोधी मुद्दों को सार्वजनिक किया है।
उन्होंने कहा कि मंदिरों के ऊपर दबाव बनाया जा रहा है और वह भी जिला उपायुक्तों द्वारा यह ठीक नहीं है, अगर मंदिर न्यास पैसा नहीं देना चाहता तो उनसे आग्रह क्यों किया जाता है यह अपने आप में एक बड़ा सवालिया निशान है। कांग्रेस सरकार के कई निर्णय सवालों के घेरों में हैं जो इससे पूर्व भी आ चुके हैं और आज फिर से यह निर्णय भी एक बड़े सवाल के घेरे में आकर खड़ा हो गया है। हम सरकार से निवेदन करना चाहते हैं कि इस प्रकार की धर्म विरोधी निर्णय तुरंत वापस लेने चाहिए और अगर यह निर्णय वापस नहीं लिए गए तो यह समझ में एक अच्छा उदाहरण नहीं माना जाएगा।
उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार अपनी परियोजना का गुणगान गा रही है और दूसरी तरफ इन योजनाओं को चलाने के लिए मंदिरों पर दबाव बना रही है इससे स्पष्ट होता है कि हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति कमजोर है और आने वाले समय में और ज्यादा कमजोर होने जा रही है। यह चिंता का विषय है और इससे समाज की चिंता बढ़ती दिखाई दे रही है।
मंदिर एक पूजनीय स्थल है और आस्था इसका केंद्र है अगर इस प्रकार के कार्य हिमाचल प्रदेश में हो रहे हैं तो जन आस्था के ऊपर यह सरकार का सीधा प्रहार है।
कर्ण नंदा ने उठाया था यह मुद्दा
भाजपा के मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने चार-पांच दिन पहले ही इस मुद्दे को उठाया था जब इस मुद्दे को दबाने का प्रयास किया जा रहा था। कहीं मंदिर ऐसे भी है जिन्होंने अभी तक इस योजना के लिए 1 से 2 करोड रुपए अपने मंदिर के खाते से सरकार की योजना के खाते में स्थानांतरण कर दिया है।
नंदा का बयान
शिमला, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार अब प्रदेश के मंदिरों की धन राशि का दुरुपयोग करने का कार्य कर रही है। इस सरकार में सभी मद्दों के पैसों को कर्मचारियों की सैलरी एवं जिस कार्य के लिए पैसा है उसको छोड़ कर दूसरे कार्य में लगने का कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखाश्रय और सुख शिक्षा योजना में मदद सरकार के अधीन आने वाले मंदिरों के ट्रस्ट भी करेंगे। भाषा एवं संस्कृति विभाग ने मंदिर कमेटियों से मदद का आग्रह भी किया है।
करोड़ों रुपये की आय वाले प्रदेश के 35 बड़े मंदिरों की जिला प्रशासन देखरेख करता है। सरकार की अपील पर उपायुक्तों ने मंदिर न्यास को आर्थिक मदद करने के लिए पत्र जारी किए हैं। भाषा एवं संस्कृति विभाग के सचिव राकेश कंवर पहले ही मीडिया को बता चुके है कि सरकार ने सुखाश्रय और सुख शिक्षा योजना में मदद करने के लिए मंदिर ट्रस्ट पर आखिरी फैसला छोड़ा है। पर फिर भी प्रशासन सभी मंदिरों पर निरंतर दबाव बना रहा है जिससे मंदिरों से करोड़ों रु को धन राशि सरकारी योजना के लिए भेजी जा रही है।
नंदा ने कहा कि मुख्य आयुक्त मंदिर, सचिव भाषा एवं संस्कृति की ओर से जारी पत्र में कहा गया कि प्रदेश के सभी मंदिर न्यासों में चढ़ावे से हो रही आय के अनुरूप मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना के लिए धन जुटाया जाए। इस पत्र के संदर्भ में उपायुक्तों ने मंदिर न्यास के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सचिवाें को आदेश जारी किए हैं कि न्यास की बैठकें बुलाकर इस योजना के लिए धन का प्रावधान किया जाए। शिमला जिला में मंदिर न्यास तारादेवी, जाखू मंदिर न्यास की बैठकें बीते कुछ दिन पूर्व बुलाई जा चुकी हैं। दुर्गा माता मंदिर न्यास हाटकोटी व भीमा काली मंदिर न्यास सराहन की बैठकें वहां के एसडीएम की अध्यक्षता में हुईं है। बैठकों में प्रस्ताव रखा गया कि सरकार के आदेश पर मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना व मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना के लिए मंदिरों में चढ़ावे व अन्य आय से धन की व्यवस्था की जाए। इसी प्रकार प्रदेश के अन्य जिलों में भी न्यास की बैठकों का दौर जारी है। हिमाचल प्रदेश में सरकार के अधीन 35 बड़े मंदिर हैं, इन मंदिरों का संचालन हिमाचल प्रदेश हिंदू सार्वजनिक धार्मिक एवं पूर्तविन्यास संस्थान करता है। सभी मंदिरों की कुल जमापूंजी लगभग चार अरब के आसपास की है। प्रदेश के बड़े मंदिरों की सूची में ज्वालामुखी, चामुंडा मंदिर, चिंतपूर्णी मंदिर, नयना देवी मंदिर, बज्रेश्वरी मंदिर, बैजनाथ मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, चंबा चौरासी मंदिर, भरमौर छतरी, बाला सुंदरी सहित अन्य मंदिर शामिल हैं। सरकार को आर्थिक संकट से उबारते रहे हैं मंदिर मुख्यमंत्री राहत कोष, मुख्यमंत्री आपदा कोष, कोविड राहत कोष सहित अन्य संकट के दौर में पहले भी मंदिरों के खजाने से करोड़ों रुपये सरकार को दिए गए हैं।
नंदा ने कहा कि सुखाश्रय और सुख शिक्षा योजना में मदद करने के लिए शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर से एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इसके लिए मंदिर प्रशासन ने प्रपोजल बना कर आगामी कार्रवाई के लिए भेजा है। वहीं श्री चामुंडा मंदिर ट्रस्ट पहले से ही घाटे में चल रहा है। मंदिर में अपने कर्मचारियों को ही वेतन देने के लिए पैसा नहीं है। ऐसे में श्री चामुंडा मंदिर ट्रस्ट इस तरह की कोई भी मदद नहीं करेगा। शक्तिपीठ बज्रेश्वरी मंदिर ट्रस्ट की ओर से भी अभी तक इस तरह की मदद के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है। इसके अलावा चाहे बात मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना की हो या सुख शिक्षा योजना की हो।