अक्स न्यूज लाइन ऊना, 28 सितंबर.
हिमाचल कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी, शिमला ने रविवार को आचार्य दिवाकरदत्त शर्मा जयंती के अवसर पर लता मंगेशकर कला केन्द्र, ऊना में राज्य स्तरीय लेखक संगोष्ठी और कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन किया ।
मुख्य अतिथि आचार्य डॉ. मस्तराम शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति की आत्मा है। इस भाषा के संरक्षण और संवर्द्धन में आचार्य दिवाकरदत्त शर्मा का योगदान अविस्मरणीय है और हम सभी को इसके सम्मान और प्रसार के लिए संकल्प लेना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि आचार्य जगत प्रसाद शास्त्री रहे। प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. मदन मोहन शर्मा ने की। इस सत्र में आचार्य श्याम लाल शर्मा ने “आचार्य दिवाकरदत्त शर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व” पर और डॉ. मुकेश शर्मा ने “गुरु-शिष्य परंपरा एवं संस्कृत संरक्षण में योगदान” पर शोधपत्र प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में आचार्य जगत प्रसाद शास्त्री, नाचधर द्विवेदी, डॉ. राजकुमार, ओमदत्त सरोच, डॉ. सीता राम, डॉ. ओम प्रकाश शर्मा, डॉ. मदन मोहन आर्य और प्रभात शर्मा सहित विद्वानों ने आचार्य दिवाकरदत्त शर्मा के जीवन और संस्कृत संरक्षण पर विचार रखे। सत्र का संचालन डॉ. कुलदीप शर्मा ने किया। इस दौरान डॉ. मस्तराम शर्मा ने साहित्यकार रमेश चन्द्र मस्ताना की पुस्तक “पहाड़ों की छांव में” का विमोचन किया।
दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता ओमदत्त सरोच ने की। इस सत्र में ओम कुमार शर्मा, कुमार शर्मा, कृषा लद्दाखी, हिमांशु शर्मा, वत्स देश राज, डॉ. रमण शर्मा, डॉ. रजनीकांत, डॉ. योगेश चन्द्र सूद, ओम प्रकाश शर्मा, कुलदीप शर्मा, अशोक कालिया, रामपाल, अलका चावला, इन्दु पराशर, ओंकार प्रसाद, ज्योति प्रसाद, डॉ. रत्न चन्द रत्नाकर, नरेश मलोटिया, डॉ. बालकृष्ण सोनी, डॉ. लेखराम शर्मा, रामलाल पाठक, रत्न चन्द निर्झर, रमेश चन्द्र मस्ताना, राजपाल वर्मा, डॉ. बलदेव चन्द शर्मा, रवीन्द्र चन्देल कमल, सुरम सिंह सहित कवियों ने काव्य पाठ किया।
अकादमी परिषद सदस्य डॉ. राजकुमार ने सभी विद्वानों और साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर अकादमी की सहायक सचिव डॉ. श्यामा वर्मा, अनुसंधान अधिकारी स्वतन्त्र कौशल, राकेश कुमार, रवि कुमार और मदन सिंह भी उपस्थित रहे।